How easy or tough will the Brexit be? An analysis.
Brexit – tough times ahead
British PM Theresa May has set out her government’s priorities for negotiations on Brexit with the EU 27. It has not made many in the EU very happy. As per Brexit, Britain has rejected a key element of the single European Market – free movement of labour. But it is now expecting continued tariff-free access to EU customers. The plan is thus– Britain will take back control of borders, as record levels of migration had “put pressure on public services”. Britain will also no longer be under the jurisdiction of the European court of justice, because it will not have truly left the European Union if they were not in control of own laws. Theresa May said that Britain is specifically ruling out membership of the EU’s single market because that is incompatible with migration controls. This is the biggest problem with Brexit and EU may not take it lightly.
As per May, Britain will not stay in the customs union, but try to strike a separate deal as an “associate member” to make trading as “frictionless as possible”. This is most likely going to be rejected by the EU and they may simply treat Britain as a “foreign country”. Britain will not be required to “contribute huge sums to the EU budget” but simply pay towards specific programmes. Theresa May also said Britain would seek a “new, comprehensive, bold and ambitious free trade agreement” with the EU, and build trading relationships with countries beyond Europe as part of a “global Britain” strategy. This is most likely going to be impossible. Many Brexit supporters feel a clean break from the EU is needed. Opponents are unhappy as they feel immigration actually benefits British business and that Britain is making a serious mistake by thinking that the number of migrant workers can be reduced without damaging the economy. However, the Irish question remains. The Irish government said it was ready to “intensify” engagement with other EU countries, and that “Ireland will negotiate from a position of strength, as one of the 27 member states firmly in, and committed to, the European Union.” Overall, the direction that globalization is taking seems to be in reverse gear. Trump’s arrival, Brexit actually happening and China’s insistence that free trade is worth it, will make the coming years very interesting.
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ब्रेक्सिट - आगे की राह कठिन है
ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने यूरोपीय संघ 27 के साथ ब्रेक्सिट पर बातचीत के लिए अपनी सरकार की प्राथमिकताएँ निर्धारित कर दी हैं। इसने यूरोपीय संघ में अनेकों को अधिक खुश नहीं किया है। ब्रेक्सिट के अनुसार ब्रिटेन ने एक एकल यूरोपीय बाजार के महत्वपूर्ण तत्व - श्रम के मुक्त आवागमन - को अस्वीकार कर दिया है। परंतु अब वह यूरोपीय संघ ग्राहकों के लिए प्रशुल्क-मुक्त प्रवेश के जारी रहने की उम्मीद कर रहा है। योजना निम्नानुसार है– ब्रिटेन सीमाओं का नियंत्रण वापस प्राप्त करेगा क्योंकि रिकॉर्ड स्तर के आप्रवासन ने “सार्वजनिक सेवाओं पर दबाव को बढ़ा दिया है”। साथ ही इसके आगे ब्रिटेन यूरोपीय न्यायालय के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत भी नहीं रहेगा, क्योंकि यदि वे अपने स्वयं के कानूनों के नियंत्रण में नहीं होंगे तो ब्रिटेन ने सच्चे अर्थों में यूरोपीय संघ को छोड़ा नहीं होगा। थेरेसा मे ने कहा कि ब्रिटेन स्पष्ट रूप से यूरोपीय संघ के एकल बाजार की सदस्यता को खारिज कर रहा है क्योंकि यह आप्रवासन नियंत्रण से विसंगत है। ब्रेक्सिट के साथ यह सबसे बड़ी समस्या है और यूरोपीय संघ इसे हल्के में नहीं लेगा।
मे के अनुसार ब्रिटेन सीमा शुल्क संघ में नहीं रहेगा परंतु वह “संबद्ध सदस्य” के रूप में एक अलग समझौता करने का प्रयास करेगा ताकि व्यापार अधिक से अधिक “घर्षण-मुक्त” हो सके। यूरोपीय संघ द्वारा इसे अस्वीकार किये जाने की संभावना ही अधिक है और वे ब्रिटेन को केवल एक “बाहरी देश” ही मानेंगे। ब्रिटेन के लिए यूरोपीय संघ के विशाल बजट में योगदान करना आवश्यक नहीं होगा बल्कि वह विशिष्ट कार्यक्रमों के लिए ही भुगतान करेगा। थेरेसा मे ने यह भी कहा कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ के साथ एक “नए अधिक व्यापक, साहसिक और महत्वाकांक्षी समझौते” का प्रयास करेगा और “वैश्विक ब्रिटेन” की रणनीति के एक भाग के रूप में यूरोप के पार विभिन्न देशों के साथ व्यापार संबंध स्थापित करेगा। यह अधिकांशतः असंभव ही होगा। अनेक ब्रेक्सिट समर्थकों को लगता है कि यूरोपीय संघ से एक स्वच्छ छुटकारा आवश्यक है। विरोधी इसलिए नाराज हैं क्योंकि उनका मानना है कि आप्रवासन वास्तव में ब्रिटिश व्यापारों के लिए लाभदायक है और ब्रिटेन यह सोचने में एक गंभीर गलती कर रहा है कि अर्थव्यवस्था को क्षति पहुंचाए बिना प्रवासी कामगारों को कम किया जा सकता है। हालांकि आयरिश प्रश्न अभी भी बना हुआ है। आयरिश सरकार ने कहा है कि वह अन्य यूरोपीय संघ देशों के साथ व्यवसाय को “सशक्त करने” के लिए तैयार है, और “आयरलैंड, मजबूती के साथ 27 सदस्य देशों के साथ अंदर रहकर, और यूरोपीय संघ के प्रति प्रतिबद्ध रहकर मजबूत स्थिति में रहकर बातचीत (सौदेबाजी) करेगा”। समग्र रूप से, वैश्वीकरण जिस दिशा में जा रहा है वह उलटी दिशा में जाता हुआ प्रतीत होता है। ट्रम्प का आगमन, ब्रेक्सिट का वास्तव में होना, और चीन का इस बात पर बल देना कि मुक्त व्यापार श्रेष्ठ है, ये सब मिलकर आने वाले दिनों को काफी दिलचस्प बनाएँगे।
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