Has globalisation found its new face? Trends indicate so.
Globalisation has a brave new face
The world is witnessing unprecedented change and uncertainty as an extroverted America pulls inward, risking the whole story of globalization. President Trump is actually putting into action his election promises – much to the shock of many in America itself. Two potential developments – (1) the leadership of German Chancellor Angela Merkel (for the Western alliance), and (2) the extroversion shown by Chinese President Xi Jinping on globalization and free trade. Both have been doubted. Today, as the post-world-war order is in its most delicate phase, ready to break apart, China has warned the world about the “dangers of preventing free flow of goods, services, capital and people” across the world.
Naturally, the Chinese are very worried as their entire modern prosperity is built on the massive reforms embracing globalization (Deng Xiaoping, starting 1979). Their forex reserves today stand at US $ 3 trillion plus! The Chinese are also pushing for an immediate enforcement of the Paris accord on climate change! Strange. As per Xi Jinping, mass migrations in recent years are due to conflicts and wars, not globalization. But at the same time, everyone knows that developing nations benefited from globalization the most, and Western world is facing the brunt of illegal and forced immigration today. But the big questions remain – How can China – an autocratic, non-democratic, non free-speech system – be the leader of a global world order? Read our detailed Bodhi on the arrival of Donald Trump, here.
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वैश्वीकरण को एक नया चेहरा मिला
चूंकि एक बहिर्मुख अमेरिका ने स्वयं को अंदर की दिशा में खींचना शुरू कर लिया है, अतः विश्व एक अप्रत्याशित अनिश्चितता और परिवर्तन का अनुभव कर रहा है, जो वैश्वीकरण की संपूर्ण कहानी के लिया खतरा बन गया है। राष्ट्रपति ट्रम्प वास्तव में अपने चुनावी वादों पर कार्रवाई कर रहे हैं - जिसके कारण स्वयं अमेरिका में ही अनेक लोग सदमे की स्थिति में हैं। दो संभावित घटनाक्रम - (1) जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल का नेतृत्व (पश्चिमी गठबंधन के लिए), और (2) वैश्वीकरण और मुक्त व्यापार के संबंध में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा प्रदर्शित की गई बहिर्मुखता। दोनों पर संदेह व्यक्त किया गया है। आज जबकि युद्ध-पश्चात की विश्व व्यवस्था अपने सर्वाधिक नाजुक दौर से गुजर रही है, जो विखंडन के लिए तैयार है, चीन ने विश्व को “वस्तुओं, सेवाओं, पूँजी और लोगों के विश्व भर में मुक्त प्रवाह को अवरुद्ध करने के खतरों” के प्रति चेतावनी दी है।
स्वाभाविक रूप से चीनी लोग अत्यंत चिंतातुर हैं क्योंकि उनकी संपूर्ण आधुनिक समृद्धि वैश्वीकरण के अंगीकरण से संबंधित सुधारों पर आधारित है (डेंग जियाओपिंग, 1979 से शुरू किये गए) आज उनके विदेशी विनिमय भंडार 3 खरब डॉलर से अधिक के स्तर पर हैं! साथ ही चीन जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते को भी तत्काल लागू करने के लिए दबाव बना रहा है! यह आश्चर्यजनक है। शी जिनपिंग के अनुसार, हाल के वर्षों का थोकबंद आप्रवासन संघर्षों, टकरावों और युद्धों के कारण हुआ है न कि वैश्वीकरण के कारण। परंतु उसी समय हम सभी जानते हैं कि वैश्वीकरण के कारण विकासशील देश सर्वाधिक लाभान्वित हुए हैं, और पश्चिमी विश्व आज अवैध और बलपूर्वक आप्रवासन के दंश को झेल रहा है। परंतु फिर भी सबसे बड़ा सवाल अभी भी बना हुआ है - कि चीन - जो एक निरंकुश, गैर-लोकतांत्रिक, गैर-मुक्त अभिव्यक्ति व्यवस्था है - किस प्रकार से एक वैश्विक विश्व व्यवस्था का नेता बन सकता है? डॉनल्ड ट्रम्प के आगमन पर हमारी बोधि यहाँ पढ़ें
स्वाभाविक रूप से चीनी लोग अत्यंत चिंतातुर हैं क्योंकि उनकी संपूर्ण आधुनिक समृद्धि वैश्वीकरण के अंगीकरण से संबंधित सुधारों पर आधारित है (डेंग जियाओपिंग, 1979 से शुरू किये गए) आज उनके विदेशी विनिमय भंडार 3 खरब डॉलर से अधिक के स्तर पर हैं! साथ ही चीन जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते को भी तत्काल लागू करने के लिए दबाव बना रहा है! यह आश्चर्यजनक है। शी जिनपिंग के अनुसार, हाल के वर्षों का थोकबंद आप्रवासन संघर्षों, टकरावों और युद्धों के कारण हुआ है न कि वैश्वीकरण के कारण। परंतु उसी समय हम सभी जानते हैं कि वैश्वीकरण के कारण विकासशील देश सर्वाधिक लाभान्वित हुए हैं, और पश्चिमी विश्व आज अवैध और बलपूर्वक आप्रवासन के दंश को झेल रहा है। परंतु फिर भी सबसे बड़ा सवाल अभी भी बना हुआ है - कि चीन - जो एक निरंकुश, गैर-लोकतांत्रिक, गैर-मुक्त अभिव्यक्ति व्यवस्था है - किस प्रकार से एक वैश्विक विश्व व्यवस्था का नेता बन सकता है? डॉनल्ड ट्रम्प के आगमन पर हमारी बोधि यहाँ पढ़ें
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