How literature interfaces with politics in changing times
Trump and Free Speech
This is a beautiful analysis of how an author and a poet thinks of free speech and a politician who is too direct in his words and now, deeds. The Man Booker prize winner for 2016 Paul Beatty is an American poet and author. His book “The Sellout” is a complex yet sarcastic novel. The US is not known for too many authors of American origin winning internationally. He comments on the British, saying “some people there were upset as I won the prize. But you never own anything truly. People must understand it. Even if you feel so, it may be someone else’s!”. Instead of trying to be an author, one must try to be an honest author. The rest just happens. He is perhaps happy that the sales of e-books are going down (a Nielsen report indicates a 16% drop in 2016!).
A Kindle cannot give you the “tangibility” that a real book can. [Internet versus the Real] Regarding Trump – Paul Beatty says he will keep writing what he wants to irrespective of who is in power. He says that even under Hitler, people wrote books. Maybe books promoting Fascism J Paul feels that Trump has embraced his own rhetoric. It is not important who the ruler is, an author has to keep writing. An author’s voice is important, they must continue expressing themselves. Trump may not be the first person to speak in too direct a way. There are many who think that way. Even the Philippines President Duterte also does. Trump has not invented this “awful discourse”, it’s always been there. Accountability too is an issue. What about the financial crisis? Was Wall Street held accountable? What about the Iraq war?
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ट्रम्प और मुक्त अभिव्यक्ति
यह इस बात का एक सुंदर विश्लेषण है कि एक लेखक और एक कवि मुक्त अभिव्यक्ति और एक ऐसे राजनेता को किस नजरिये से देखते हैं जो अपने शब्दों में, और अब कृत्यों में, अत्यधिक स्पष्ट और सीधा है। वर्ष 2016 के मैन बूकर पुरस्कार विजेता पॉल बेटी एक अमेरिकी कवि और लेखक हैं। उनकी पुस्तक “द सेलआउट” एक जटिल परंतु फिर भी व्यंगात्मक उपन्यास है। अमेरिका अधिक संख्या में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार विजेता अमेरिकी मूल के लेखकों के लिए नहीं जाना जाता है। वे ब्रिटिशों पर यह टिप्पणियां करते हैं कि “वहां कुछ लोग नाराज थे क्योंकि मैनें पुरस्कार प्राप्त किया था। परंतु वास्तव में आपका किसी चीज पर स्वमित्व नहीं होता है। लोगों को यह बात समझना चाहिए। यदि आपको ऐसा लगता भी है तो भी वह किसी दूसरे की हो सकती है”! एक लेखक होने का प्रयास करने की बजाय व्यक्ति को एक ईमानदार लेखक बनने का प्रयास करना चाहिए। शेष बातें अपने आप होती चली जाती हैं। वे संभवतः इस बात से खुश हैं कि ई-पुस्तकों की बिक्री कम होती जा रही है (निल्सन की एक रिपोर्ट संकेत देती है कि वर्ष 2016 में बिक्री में 16 प्रतिशत की गिरावट हुई!)
एक उत्तेजक पुस्तक आपको वह “स्पर्शनीयता” (ठोसपन) प्रदान नहीं कर सकती जो एक वास्तविक पुस्तक प्रदान कर सकती है [इंटरनेट बनाम वास्तविक]। ट्रम्प के संबंध में - पॉल बेटी कहते हैं कि सत्ता में चाहे कोई भी क्यों न हो परंतु वे वही लिखना जारी रखेंगे जो वह लिखना चाहते हैं। वे कहते हैं कि हिटलर के समय में भी लोग पुस्तकें लिखते रहे थे। संभवतः पुस्तकें फासीवाद का संवर्धन कर रही हैं । पॉल को लगता है कि ट्रम्प ने अपनी स्वयं की बयानबाजी को गले लगा लिया है। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि शासक कौन है, लेखक को लगातार लिखते रहना चाहिए। एक लेखक की आवाज महत्वपूर्ण है, उन्हें स्वयं को व्यक्त करते रहना चाहिए । संभवतः ट्रम्प अत्यधिक स्पष्ट बोलने वाले पहले नेता नहीं होंगे। इस प्रकार की सोच रखने वाले अन्य अनेक लोग हैं। यहाँ तक कि फिलीपींस के राष्ट्रपति दुतेर्ते भी ऐसा ही करते हैं। ट्रम्प ने इस “महिमामय प्रवचन” का आविष्कार नहीं किया है, यह हमेशा से मौजूद रहा है। जवाबदेही भी एक मुद्दा है। वित्तीय संकट का क्या? क्या वाल स्ट्रीट को जवाबदेह बनाया गया? इराक युद्ध का क्या?
एक उत्तेजक पुस्तक आपको वह “स्पर्शनीयता” (ठोसपन) प्रदान नहीं कर सकती जो एक वास्तविक पुस्तक प्रदान कर सकती है [इंटरनेट बनाम वास्तविक]। ट्रम्प के संबंध में - पॉल बेटी कहते हैं कि सत्ता में चाहे कोई भी क्यों न हो परंतु वे वही लिखना जारी रखेंगे जो वह लिखना चाहते हैं। वे कहते हैं कि हिटलर के समय में भी लोग पुस्तकें लिखते रहे थे। संभवतः पुस्तकें फासीवाद का संवर्धन कर रही हैं । पॉल को लगता है कि ट्रम्प ने अपनी स्वयं की बयानबाजी को गले लगा लिया है। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि शासक कौन है, लेखक को लगातार लिखते रहना चाहिए। एक लेखक की आवाज महत्वपूर्ण है, उन्हें स्वयं को व्यक्त करते रहना चाहिए । संभवतः ट्रम्प अत्यधिक स्पष्ट बोलने वाले पहले नेता नहीं होंगे। इस प्रकार की सोच रखने वाले अन्य अनेक लोग हैं। यहाँ तक कि फिलीपींस के राष्ट्रपति दुतेर्ते भी ऐसा ही करते हैं। ट्रम्प ने इस “महिमामय प्रवचन” का आविष्कार नहीं किया है, यह हमेशा से मौजूद रहा है। जवाबदेही भी एक मुद्दा है। वित्तीय संकट का क्या? क्या वाल स्ट्रीट को जवाबदेह बनाया गया? इराक युद्ध का क्या?
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