America's relations with Europe will be tested in the months to come.
America, Europe, Trump
The world is baffled with President Trump’s policies, and a few leaders are reacting sharply against these and suggesting inflammatory proposals. They need to understand that confrontation is not what the world order wants at this juncture. It rather wants a meaningful dialogue to resolve conflicts. The European leaders have done well to adopt a path of dialogue rather than confrontation. The European concerns on the US travel ban are genuine, as that would create a generalized hatred of the entire West in the Muslim countries. What is becoming clear is that Trump possibly wants the US to be a “political” leader rather than an economic leader and facilitator. When Trump says that NATO is obsolete, his defence secretary James Mattis has reaffirmed the importance of NATO. Refer NATO downloadable resources on Bodhi Resources page. This means that the US wants all nations to contribute for the success of various alliances and agreements rather than depend on the US to fund the entire process. Similarly, his views that accommodation with Russia would be in the interest of all. But for all this to happen, a meaningful dialogue with the US leadership is important and essential. Read a comprehensive Bodhi on “Arrival of Trump” with a detailed Video, here
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अमेरिका, यूरोप, ट्रम्प
राष्ट्रपति ट्रम्प की नीतियों ने विश्व को काफी हद तक भ्रमित कर दिया है और कुछ नेता इसपर तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और अमेरिका के साथ टकराव का रास्ता सुझा रहे हैं।
उन्हें समझना होगा कि आज विश्व व्यवस्था को टकराव की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उसे संघर्ष के समाधान के लिए अर्थपूर्ण चर्चा की आवश्यकता है।
यूरोपीय नेताओं ने टकराव के बजाय चर्चा का मार्ग चुनकर सही फैसला लिया है।
अमेरिका द्वारा 7 देशों के नागरिकों के विरुद्ध लगाए गए यात्रा प्रतिबंध के बारे में व्यक्त की जा रही यूरोपीय नेताओं की चिंताएं जायज हैं, क्योंकि इसके कारण मुस्लिम देशों में संपूर्ण पश्चिमी विश्व के प्रति घृणा उत्पन्न होने की संभावना है, जो किसी के हित में नहीं है।
अब यह बात अधिक स्पष्ट होती जा रही है कि संभवतः ट्रम्प चाहते हैं कि अमेरिका का स्थान विश्व में “राजनीतिक” नेतृत्व का हो न कि एक “आर्थिक” नेतृत्व और सुविधा प्रदाता का। एक ओर जहाँ ट्रम्प नाटो को अप्रचलित और अप्रासंगिक कह रहे हैं, वहीँ दूसरी ओर उनके रक्षा मंत्री जेम्स मेटिस ने नाटो के महत्त्व की प्रतिपुष्टि की है। नाटो पर जानकारी पाएं बोधि संसाधन पृष्ठ पर।
इसका अर्थ यह है कि अमेरिका चाहता है कि विश्व के सभी गठबंधनों और समझौतों की सफलत के लिए विभिन्न देशों को केवल अमेरिकी निधीयन पर निर्भर रहने के बजाय ऐसे सभी संबंधित राष्ट्रों को अपना योगदान देना चाहिए।
उसी प्रकार रूस के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करना सभी के हित में है।
परंतु ऐसा होने के लिए अमेरिकी नेतृत्व के साथ एक अर्थपूर्ण चुर्चा महत्वपूर्ण और आवश्यक है। ट्रम्प के आगमन से संबंधित एक विस्तृत बोधि पढ़ें यहाँ, साथ में एक विडियो भी ।
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