India, ranked at 131 in the latest UNDP HDI rankings, has a long way to go to make its superpower dreams come to fruition | यूएनडीपी के मानव विकास सूचकांक में १३१ नंबर पर खड़े भारत को अपनी महाशक्ति बनने की चाहत पूरा करने हेतु कड़े प्रयास करने होंगे
Human Development Report, HDI rankings and India
India has done reasonably well on the fronts of economic growth and development in the past 25 years, post the LPG reforms by Narasimha Rao government. But it is apparent that the resultant high income has not translated into a better quality of life for a majority of the population, showing huge economic disparity. Read a full Bodhi on ‘State of Indian economy and politics’. Economic development requires high investment. There has been a lot of investment in various areas of development, including the one catalysed by foreign investments. Sadly the human development sector has remained untouched. India’s persistent low ranking in UNDP’s Human Development Index (HDI) over all these years proves this - we stood at 131 out of 188 countries in UNDP’s HDI 2015 (as per the UNDP HD Report 2016). Download the UNDP HDI Reports 2016 from Bodhi Resources page.
Lot of work has been done towards raising life expectancy at birth from 58.29 years in 1990 to 68.3 years in 2015. Refer the dedicated page for all India specific facts and figures. There has been progress in increasing awareness on issues affecting women’s empowerment. Improvement has also been made in the field of public safety, discrimination in inheritance rights and equal employment opportunities. However, as the HDI 2015 data shows, this improvement has not been uniform. There have been regional disparities as well as disparities between states, along with gender inequalities. Women’s participation in workforce : India ranks lowest among BRICS nations. Population living in severe poverty : India is placed at the bottom of the group. This clearly indicates that we have lost a lot of time in focusing on universal education and health care, which could have pulled the deprived sections of the population out of the poverty trap. The fiscal space now available, accompanied by economic growth, should be invested in improving higher education and health care and making them accessible to all. The state of democracy, and access to justice, must be improved urgently. India has still not ratified the UN conventions on torture, rights of migrant workers and their families, and protection against enforced disappearance. This is a serious gap for India, committed to democracy and rule of law. View our Bodhi Shiksha video analyses on Gender Inequality here Quality of life would depend on meeting the emerging challenges of urbanization, housing for all, and access to power, water, education and health care. There is indeed a long way to go for India, before we can start dreaming realistically of a superpower status. Read many Bodhi Saars on Demography and prosperity, here.
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औसत से उत्कृष्टता की ओर - भारत एक महाशक्ति
नरसिंह राव सरकार द्वारा शुरू किये गए उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के सुधारों के बाद आर्थिक वृद्धि और विकास के मोर्चों पर भारत ने पिछले 25 वर्षों के दौरान काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। परंतु यह स्पष्ट है कि इसके परिणामस्वरूप हुई आय वृद्धि का लाभ हमारी अधिकांश जनसंख्या को नहीं हो पाया है जिसके कारण विशाल असमानता दिखाई देती है।
भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीति पर संपूर्ण बोधि पढ़ें, यहां।
आर्थिक विकास के लिए उच्च निवेश आवश्यक है। देश में विभिन्न क्षेत्रों में भारी मात्रा में निवेश हुआ भी है जिसमें वह निवेश भी शामिल है जो विदेशी निवेश से उत्प्रेरित हुआ है। दुर्भाग्यवश इस संपूर्ण प्रक्रिया के दौरान मानव विकास का क्षेत्र पूर्णतया अछूता रहा है।
इन वर्षों के दौरान यूएनडीपी के मानव विकास सूचकांक पर भारत का लगातार निचला स्थान साबित करता है कि - वर्ष 2015 में (२०१६ की रिपोर्ट के आधार पर) हम यूएनडीपी के मानव विकास सूचकांक की सूची में 188 देशों में से 131 वें स्थान पर रहे हैं। यूएनडीपी की मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट्स 2016 बोधि संसाधन पृष्ठ से डाउनलोड करें।
जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में वृद्धि करने के क्षेत्र में काफी काम हुआ है, जिसके कारण हम इस वर्ष 1990 के 58.29 वर्ष से वर्ष 2015 में 68.3 वर्ष तक बढ़ा पाए। एक नजर विभिन्न विभिन्न भारत संबंधित आंकड़ों पर डालें। महिला सशक्तिकरण को प्रभावित करने वाले मुद्दों के संबंध में जागरूकता बढाने के बारे में काफी प्रगति हुई है। सार्वजनिक सुरक्षा, उत्तराधिकार के अधिकारों और समान अवसरों के क्षेत्रों में भी काफी सुधार हुए हैं। हालांकि जैसे कि मानव विकास सूचकांक 2015 के आंकडे दर्शाते हैं, यह सुधार समान रूप से नहीं हुआ है। लैंगिक असमानताओं के साथ ही क्षेत्रीय असमानताएँ और राज्यों के बीच असमानताएँ भी विद्यमान हैं। श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी : इस क्षेत्र में भारत का स्थान ब्रिक्स देशों में सबसे नीचे है। घोर गरीबी में रहने वाली जनसंख्या : भारत समूह में सबसे निचले स्थान पर है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है हमनें सर्वजनीन शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करने में काफी समय नष्ट किया है जो समाज के वंचित वर्गों को गरीभी के पाश से बाहर निकाल सकते थे। आर्थिक वृद्धि के साथ ही वर्तमान में उपलब्ध अनुकूल वित्तीय स्थिति का उपयोग उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में निवेश के लिए और उन्हें सभी के लिए उपलब्ध कराने के लिए किया जाना चाहिए। लोकतंत्र की स्थिति और न्याय तक पहुँच में तत्काल सुधार किया जाना चाहिए। भारत ने अभी तक अत्याचार, प्रवासी कामगारों और उनके परिवारों के अधिकारों और विवशता से लापता होने के विरुद्ध संरक्षण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की पुष्टि नहीं की है। भारत के लिए, जो लोकतंत्र और कानून के शासन के प्रति प्रतिबद्ध है, यह एक गंभीर कमी है। लैंगिक असमानता पर बोधि शिक्षा विडियो विश्लेषण देखें यहां। जीवन की गुणवत्ता शहरीकरण, सभी के लिए आवास, और बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य तक सभी की पहुँच पर निर्भर है। इससे पहले कि हम एक महाशक्ति होने का सपना देखना शुरू करें, भारत को अभी काफी रास्ता तय करना बाकी है। जनसांख्यिकी और संपन्नता पर अनेक बोधियाँ पढ़ें यहां।
Useful resources for youजन्म के समय जीवन प्रत्याशा में वृद्धि करने के क्षेत्र में काफी काम हुआ है, जिसके कारण हम इस वर्ष 1990 के 58.29 वर्ष से वर्ष 2015 में 68.3 वर्ष तक बढ़ा पाए। एक नजर विभिन्न विभिन्न भारत संबंधित आंकड़ों पर डालें। महिला सशक्तिकरण को प्रभावित करने वाले मुद्दों के संबंध में जागरूकता बढाने के बारे में काफी प्रगति हुई है। सार्वजनिक सुरक्षा, उत्तराधिकार के अधिकारों और समान अवसरों के क्षेत्रों में भी काफी सुधार हुए हैं। हालांकि जैसे कि मानव विकास सूचकांक 2015 के आंकडे दर्शाते हैं, यह सुधार समान रूप से नहीं हुआ है। लैंगिक असमानताओं के साथ ही क्षेत्रीय असमानताएँ और राज्यों के बीच असमानताएँ भी विद्यमान हैं। श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी : इस क्षेत्र में भारत का स्थान ब्रिक्स देशों में सबसे नीचे है। घोर गरीबी में रहने वाली जनसंख्या : भारत समूह में सबसे निचले स्थान पर है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है हमनें सर्वजनीन शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करने में काफी समय नष्ट किया है जो समाज के वंचित वर्गों को गरीभी के पाश से बाहर निकाल सकते थे। आर्थिक वृद्धि के साथ ही वर्तमान में उपलब्ध अनुकूल वित्तीय स्थिति का उपयोग उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में निवेश के लिए और उन्हें सभी के लिए उपलब्ध कराने के लिए किया जाना चाहिए। लोकतंत्र की स्थिति और न्याय तक पहुँच में तत्काल सुधार किया जाना चाहिए। भारत ने अभी तक अत्याचार, प्रवासी कामगारों और उनके परिवारों के अधिकारों और विवशता से लापता होने के विरुद्ध संरक्षण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की पुष्टि नहीं की है। भारत के लिए, जो लोकतंत्र और कानून के शासन के प्रति प्रतिबद्ध है, यह एक गंभीर कमी है। लैंगिक असमानता पर बोधि शिक्षा विडियो विश्लेषण देखें यहां। जीवन की गुणवत्ता शहरीकरण, सभी के लिए आवास, और बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य तक सभी की पहुँच पर निर्भर है। इससे पहले कि हम एक महाशक्ति होने का सपना देखना शुरू करें, भारत को अभी काफी रास्ता तय करना बाकी है। जनसांख्यिकी और संपन्नता पर अनेक बोधियाँ पढ़ें यहां।
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