NATO is experiencing a new kind of stress - the Trump 2% stress!
NATO in Trump's crosshairs
NATO is in news due to President Donald Trump’s criticism of low contributions on defence by many European member nations of NATO. Only US, and four other nations, have crossed the promised expense contribution levels. NATO has 26 European nations as members, and 2 North American nations as members (US and Canada). The European members are : Albania, Belgium, Bulagria, Croatia, Czech Republic, Denmark, Estonia, France, Germany, Greece, Hungary, Iceland, Italy, Latvia, Lithuania, Luxembourg, Netherlands, Norway, Poland, Portugal, Romania, Slovak Republic, Slovenia, Spain, Turkey, UK. See an image for the full structure of NATO here
Of all these members, the biggest economies (Real GDP size, 2016) are : USA ($ 16.8 trillion), Canada ($ 1.8 trillion), Germany ($ 3.7 trillion), UK ($ 2.7 trillion), France ($ 2.7 trillion), Italy ($ 2.0 trillion), and Spain ($ 1.4 trillion). NATO defines defence expenditure as payments made by a
national government specifically to meet the needs of its armed forces
or those of Allies. A major component is payments on Armed Forces financed within the Ministry of Defence (MoD) budget. See the full data for spends in dollars by all members (2016) Armed Forces include Land, Maritime and Air forces as
well as Joint formations such as Administration and Command, Special
Operations Forces, Medical Service, Logistic Command etc. They might
also include "Other Forces" like Ministry of Interior troops, border
guards, national police forces, etc. In 2016, America spent 3.61% of its GDP on defence (so 3.61% of 16.8 trillion = $ 600 billion approx.). Other nations that spent 2.0% or more (as per NATO guidelines) were – UK (2.21%), Poland (2.0%), Greece (2.38%), and Estonia (2.16%). See the full data for spends of all members
Some strong statements have been – “The countries we
are defending must pay for the cost of this defense – and, if not, the
US must be prepared to let these countries defend themselves.” – Donald Trump or “We have a problem with radical Islamism and I
actually think that we could work together with [Russia] against this
enemy. They have a worse problem than we do.” – Michael Flynn (now ex-NSA, had to resign over Russia allegations). Since 2016, a resounding rejection of the status quo has
happened. In multiple elections and referenda, political outsiders
succeeded, while the establishment was dealt major blows. Populist
parties are now part of the government in about a dozen Western
democracies. The journey of globalization in numbers can be seen here Economic factors may explain part of the populist rise:
incomes for a majority of citizens in industrialized economies have
stagnated or fallen between 2007 and 2014.2 However, in the US, for
instance, analyses show that it was not only economic hardship but
anxiety about the future (cultural backlash against globalization) that
made people vote for Trump.
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ट्रम्प के निशाने पर नाटो
नाटो आजकल खबर में है चूंकि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने नाटो के अनेक यूरोपीय सदस्य देशों द्वारा रक्षा में दिये जा रहे कम योगदान की आलोचना की है। केवल अमेरिका ने, और चार अन्य देशों ने, वादे के अनुसार व्यय योगदान स्तर को पूरा किया है। नाटो में 26 यूरोपीय सदस्य देश हैं एवं 2 उत्तरी अमेरिकी सदस्य देश है
(अमेरिका और कनाडा) यूरोपीय सदस्य हैं : अल्बानिया, बेल्जीयम, बुलगारिया,
क्रोएशिया, चेक रिपल्ब्कि, डेनमार्क, एस्टोनिया, फ्रांस, जर्मनी, यूनान,
हंगरी, आईस्लैंड, इटली, लात्विया, लिथुआनिया, लक्शमबर्ग, नीदरलैंडस,
नार्वें, पौलेंड, पुर्तगाल, रोमानिया, इस्लोवाक गणराज्य, स्लोवेनिया,
स्पेन, तुर्की, यू.के.। नाटो का पूरा ढ़ाचा इस चित्र में देखें, यहां।
इस सभी सदस्यों में, सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाऐं हैं (वास्तविक जीडीपी आकार, 2016) : अमेरिका (डॉलर 16.8 ट्रिलियन), कनाडा (डॉलर 1.8 ट्रिलियन), जर्मनी (डॉलर 3.7 ट्रिलियन), यू.के. (डॉलर 2.7 ट्रिलियन), फ्रांस (डॉलर 2.7 ट्रिलियन), इटली (डॉलर 2.0 ट्रिलियन), स्पेन (डॉलर 1.4 ट्रिलियन)। नाटो की परिभाषा के अनुसार रक्षा व्यय किसी राष्ट्रीय सरकार द्वारा अपने सुरक्षाबलों या सहयोगी देशों की सुरक्षा हेतु किया गया व्यय होता है। इसका एक बड़ा हिस्सा होगा रक्षा मंत्रालय के बजट के भीतर सुरक्षा बलो पर किया गया व्यय। सदस्य देशों द्वारा 2016 में किये गये डॉलर व्यय का चित्र यहां देखें। सुरक्षा बलों में शामिल होते हैं थलसेना, नौसेना एवं वायुसेना और साथ ही साथ संयुक्त बल भी जैसे प्रशासन और कमान, विशेष कार्यकारी बल, चिकित्सा सेवा आदि इनमें ‘‘अन्य बल’’ जैसे सीमा सुरक्षा, पुलिस बल भी हो सकते हैं। 2016 में अमेरिका ने अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.61 प्रतिशत रक्षा पर व्यय किया (अतः 16.8 ट्रिलियन का 3.61 प्रतिशत = 600 बिलियन डॉलर से अधिक)। नाटो मापदंडों के अनुसार अन्य देश जिन्होंने 2.0 प्रतिशत या अधिक खर्च किया वे थे - यू.के. (2.21 प्रतिशत), पोलैंड (2.0 प्रतिशत), यूनान (2.38 प्रतिशत), और एस्टोनिया (2.16 प्रतिशत)। सभी सदस्यो का पूर्ण व्यय चित्र यहां देखें।
कुछ कठोर वक्तव्य ऐसे रहे हैं ‘‘हम जिन देशों की सुरक्षा कर रहे हैं उन्हें उस सुरक्षा की कीमत चुकानी होगी, और यदि नहीं, तो अमेरिका को इन देशों को स्वयं की रक्षा करने देने के लिये तैयार रहना चाहिए’’। - डॉनल्ड ट्रंप ‘‘हमें कट्टरपंथी इस्लाम से समस्या है और हम वाकई में सोचते हैं कि हम [ रूस के साथ मिलकर इस शत्रु से लड़ सकते हैं। उनकी समस्या हमसे भी गंभीर हैं ’’- माईकल फ्लिन (पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार, जिन्हें रूस संबंधी आरोपो के चलते त्यागपत्र देना पड़ा)। 2016 से ही मौजूदा स्थितियों को अनेक बार नामंजूबरी सहनी पड़ी है। अनेक चुनावों और जनमत संग्रह में, राजनीतिक रूप से बाहरी लोग विजयी हुए हैं, जबकि मौजूदा संस्थानों को बड़ी चौटें लगी है। लगभग 1 दर्जन पश्चिमी लोकतंत्रों में लोकलुभावनवादी दल सरकार का हिस्सा हैं। वैश्विकरण की यात्रा को आप यहां आंकड़ों में देखें, यहां। आर्थिक कारक इस लोकलुभावनवादी उफान को समझा सकते हैं : 2007 से 2014 के बीच औद्योगीकृत अर्थव्यवस्थाओं में ज्यादातर नागरिकों की आय या तो ठहरी रही या गिर गई। और अमेरिका में तो विश्लेषण बताते हैं कि न केवल आर्थिक तकलीफे किंतु भविष्य की चिंताएं (वैश्विकरण के विरूद्ध सांस्कृतिक प्रतिक्रिया) ने नागरिको को ट्रंप के लिये मतदान हेतु प्रेरित किया।
इस सभी सदस्यों में, सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाऐं हैं (वास्तविक जीडीपी आकार, 2016) : अमेरिका (डॉलर 16.8 ट्रिलियन), कनाडा (डॉलर 1.8 ट्रिलियन), जर्मनी (डॉलर 3.7 ट्रिलियन), यू.के. (डॉलर 2.7 ट्रिलियन), फ्रांस (डॉलर 2.7 ट्रिलियन), इटली (डॉलर 2.0 ट्रिलियन), स्पेन (डॉलर 1.4 ट्रिलियन)। नाटो की परिभाषा के अनुसार रक्षा व्यय किसी राष्ट्रीय सरकार द्वारा अपने सुरक्षाबलों या सहयोगी देशों की सुरक्षा हेतु किया गया व्यय होता है। इसका एक बड़ा हिस्सा होगा रक्षा मंत्रालय के बजट के भीतर सुरक्षा बलो पर किया गया व्यय। सदस्य देशों द्वारा 2016 में किये गये डॉलर व्यय का चित्र यहां देखें। सुरक्षा बलों में शामिल होते हैं थलसेना, नौसेना एवं वायुसेना और साथ ही साथ संयुक्त बल भी जैसे प्रशासन और कमान, विशेष कार्यकारी बल, चिकित्सा सेवा आदि इनमें ‘‘अन्य बल’’ जैसे सीमा सुरक्षा, पुलिस बल भी हो सकते हैं। 2016 में अमेरिका ने अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.61 प्रतिशत रक्षा पर व्यय किया (अतः 16.8 ट्रिलियन का 3.61 प्रतिशत = 600 बिलियन डॉलर से अधिक)। नाटो मापदंडों के अनुसार अन्य देश जिन्होंने 2.0 प्रतिशत या अधिक खर्च किया वे थे - यू.के. (2.21 प्रतिशत), पोलैंड (2.0 प्रतिशत), यूनान (2.38 प्रतिशत), और एस्टोनिया (2.16 प्रतिशत)। सभी सदस्यो का पूर्ण व्यय चित्र यहां देखें।
कुछ कठोर वक्तव्य ऐसे रहे हैं ‘‘हम जिन देशों की सुरक्षा कर रहे हैं उन्हें उस सुरक्षा की कीमत चुकानी होगी, और यदि नहीं, तो अमेरिका को इन देशों को स्वयं की रक्षा करने देने के लिये तैयार रहना चाहिए’’। - डॉनल्ड ट्रंप ‘‘हमें कट्टरपंथी इस्लाम से समस्या है और हम वाकई में सोचते हैं कि हम [ रूस के साथ मिलकर इस शत्रु से लड़ सकते हैं। उनकी समस्या हमसे भी गंभीर हैं ’’- माईकल फ्लिन (पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार, जिन्हें रूस संबंधी आरोपो के चलते त्यागपत्र देना पड़ा)। 2016 से ही मौजूदा स्थितियों को अनेक बार नामंजूबरी सहनी पड़ी है। अनेक चुनावों और जनमत संग्रह में, राजनीतिक रूप से बाहरी लोग विजयी हुए हैं, जबकि मौजूदा संस्थानों को बड़ी चौटें लगी है। लगभग 1 दर्जन पश्चिमी लोकतंत्रों में लोकलुभावनवादी दल सरकार का हिस्सा हैं। वैश्विकरण की यात्रा को आप यहां आंकड़ों में देखें, यहां। आर्थिक कारक इस लोकलुभावनवादी उफान को समझा सकते हैं : 2007 से 2014 के बीच औद्योगीकृत अर्थव्यवस्थाओं में ज्यादातर नागरिकों की आय या तो ठहरी रही या गिर गई। और अमेरिका में तो विश्लेषण बताते हैं कि न केवल आर्थिक तकलीफे किंतु भविष्य की चिंताएं (वैश्विकरण के विरूद्ध सांस्कृतिक प्रतिक्रिया) ने नागरिको को ट्रंप के लिये मतदान हेतु प्रेरित किया।
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