Not having money is a problem. Excess of it can be a disaster, at times.
Money isn’t everything – the thought-process is!
A poor country faces many problems. Citizens don’t know how to break free from poverty, and make choices accordingly. When they do become rich, a new set of problems emerge born of indulgences. Today’s India is an India of flux. Everyone wants to leave this nation, settle someplace else. Was it like this always? No. Five centuries ago, all Europeans wanted to come here. They did. [And looted us] Today it is the reverse. Our day-to-day conduct as human beings, as disciplined citizens, as compassionate people (towards fellow beings) will make or break our image. No one else will do it for us. This is what culture is – either we are cultured, or we are not. Economic progress is happening. That is a certainty. How far it goes, how far it takes us, how deep it penetrates into our villages – all that is the variable uncertainty. But it will happen. We have explained the entire concept of Indian spirituality in this lecture on Hinduism on this page.
The Americans in 1930s experienced the great depression – even food was a luxury for common people. Then the second world war killed crores in Europe. Then in 1960s they became rich, and then collapsed in drugs and alcohol. Then they stood up again. They built a great nation. Watch man`y video analyses on world politics, here. India should try and avoid that negative fate. We must make things happen positively. Affluence has to be welcomed positively, and not used to “lose our heads”! Poverty is bad, but affluence can be worse! We do not need to scream and shout. We need to make the society change slowly, at our own level. Silently. That is exactly what spiritual awareness will be – even the rich won’t lose their heads. Then and only then, will religion, spirituality and economy work in tandem for a happier Indian society. Watch many video analyses on Society and Culture here and on Religion and Spirituality, here.
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पैसा सर्व शक्तिमान नहीं, विचार प्रक्रिया होती है!
एक गरीब देश अनेक समस्याओं से जूझता है। नागरिकों को गरीबी से चंगुल से छूटना आसान नहीं लगता, और उनके विकल्प उसी प्रकार तय होते हैं। जब वे अमीर बनते भी हैं, तो अति-भोग और आसक्तियों की वजह से नई समस्याऐं आ जाती हैं।
आज का भारत परिवर्तनशील भारत है हर कोई यह देश छोड़ कर जाना चाहता है, कहीं और बसने के लिये। क्या हमेशा ऐसा था? नहीं। पांच सदियों पूर्व, सभी यूरोपीय यहीं आना चाहते थे। वे आये भी और हमें लूट ले गये। आज इसका ठीक उल्टा हो रहा है।
दैंनंदिन आधार पर हम किस प्रकार के इंसान है, किस प्रकार के अनुशासित नागरिक हैं और किस प्रकार के करूणाशील व्यक्ति हैं (दूसरों के प्रति) इसीसे हमारी छवि बनेगी या बिगड़़ेगी। कोई ओर यह हमारे लिये नहीं करेगा। यही संस्कृति होती है - या तो हम सुसंस्कृत हैं या हम नहीं हैं।
आर्थिक प्रगति हो रही है। यह तो तय है। यह कितना दूर जायेगी, हमें कितना दूर ले जायेगी, हमारे गावों में कितने गहरे तक प्रवेश करेगी यह अभी तय नहीं है। किंतु यह होगी।
आध्यात्मिकता को गहराई से समझने हेतु हिंदू धर्म पर हमारा व्याख्यान देखें, यहां।
1930 के दशक में अमेरिकियों ने आर्थिक महामंदी का अनुभव किया - आम नागरिक के लिये भोजन भी मुश्किल हो गया था। उसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध में यूरोप के करोड़ों नागरिक मारे गये। फिर 1960 के दशक में वे अमीर बनें, और फिर नशीली दवाओं ओर शराब में डूब गये। उसके बाद वह पुनः उठ खड़े हुए। उन्होंने एक महान देश बना लिया। विश्व राजनीति पर हमारे विडियो विश्लेषण बोधि शिक्षा चैनल पर देखें। भारत को पूरा प्रयास करना चाहिए कि इस खराब स्थिति से खुद को बचाये। हमें चीजों को सकारात्मकता से करना होगा। समृद्धि का सकारात्मकता से स्वागत करना होगा, और अपना संतुलन नहीं खोना होगा। गरीबी बुरी चीज है, किंतु समृद्धि और बुरी हो सकती है! हमें चीखने-चिल्लाने की आवश्यकता नहीं है, हमें समाज को धीरे-धीरे बदलना होगा, अपने ही स्तर पर। खामोशी से। यही तो आध्यात्मिक चेतना होगी - अमीर भी अपना संतुलन नहीं खोऐंगें। सिर्फ तभी, धर्म, आध्यात्मिकता और अर्थव्यवस्था एक खुशहाल भारतीय समाज बनाने हेतु संतुलन से काम करेंगें। समाज और संस्कृति एवं धर्म और आध्यात्मिकता पर हमारे विडियो विश्लेषण बोधि शिक्षा चैनल पर देखें।
1930 के दशक में अमेरिकियों ने आर्थिक महामंदी का अनुभव किया - आम नागरिक के लिये भोजन भी मुश्किल हो गया था। उसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध में यूरोप के करोड़ों नागरिक मारे गये। फिर 1960 के दशक में वे अमीर बनें, और फिर नशीली दवाओं ओर शराब में डूब गये। उसके बाद वह पुनः उठ खड़े हुए। उन्होंने एक महान देश बना लिया। विश्व राजनीति पर हमारे विडियो विश्लेषण बोधि शिक्षा चैनल पर देखें। भारत को पूरा प्रयास करना चाहिए कि इस खराब स्थिति से खुद को बचाये। हमें चीजों को सकारात्मकता से करना होगा। समृद्धि का सकारात्मकता से स्वागत करना होगा, और अपना संतुलन नहीं खोना होगा। गरीबी बुरी चीज है, किंतु समृद्धि और बुरी हो सकती है! हमें चीखने-चिल्लाने की आवश्यकता नहीं है, हमें समाज को धीरे-धीरे बदलना होगा, अपने ही स्तर पर। खामोशी से। यही तो आध्यात्मिक चेतना होगी - अमीर भी अपना संतुलन नहीं खोऐंगें। सिर्फ तभी, धर्म, आध्यात्मिकता और अर्थव्यवस्था एक खुशहाल भारतीय समाज बनाने हेतु संतुलन से काम करेंगें। समाज और संस्कृति एवं धर्म और आध्यात्मिकता पर हमारे विडियो विश्लेषण बोधि शिक्षा चैनल पर देखें।
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