Was there anything special for general public in the Budget?
Union Budget 2017-18 : For the Consumers, Salaried Class and General Public
The general perception about budget 2017 is that it has something for everyone but sufficient for no one! The major attraction for the salaried class in the budget is the income tax exemption limit. The individual income tax limit has not been changed. However, income above Rs. 2.5 lakh and up to Rs. 5 lakh will be charged tax @ 5%. The finance minister has taxed the super-rich class more while giving some relief to the middle-class. A 10% surcharge would be applicable on income above Rs. 50 lakh to Rs. 1 crore. The 15% surcharge on income above Rs. 1 crore to remain unchanged. More thrust has been given on digital transactions in the budget. Service charge on IRCTC e-tickets has been withdrawn. There has been no change in the Service tax also. The holding period for Capital gains on sale of immovable property to qualify as long-term gain has been reduced from 3 years to 2 years. Overall, in the long run, the government seems determined to minimize unnecessary doles, create strong fiscal strength, push demographic benefits and ensure social benefit for the bottom of the pyramid. You can refer to Bodhi resources page for downloading the PDFs of Economic Survey and Union Budget.
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बजट 2017-18 : उपभोक्ताओं, वेतन भोगियों और सामान्य जनता के लिए
विमुद्रीकरण वर्ष 2017 के बजट के बारे में सामान्य अवधारणा यह है कि इसमें सभी के लिए कुछ है, परंतु किसी के लिए भी पर्याप्त नहीं है!
वेतन भोगियों के लिए बजट में सबसे बदास आकर्षण आयकर की छूट सीमा होती है। आयकर की छूट सीमा में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। हालांकि 2.5 लाख से अधिक और 5 लाख तक की आय पर आयकर की दर 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत की गई है।
वित्त मंत्री ने बहुत अमीर लोगों पर अधिक कर अधिरोपित किया है जबकि मध्यम-वर्ग को कुछ हद तक राहत दी गई है। 50 लाख रुपये से अधिक और 1 करोड़ रुपये तक की आय पर 10 प्रतिशत अधिभार लगाया गया है, जबकि 1 करोड़ रुपये से अधिक आय पर जारी 15 प्रतिशत अधिभार को यथावत रखा गया है।
बजट में डिजिटल लेनदेन पर अधिक बल दिया गया है। आईआरसीटीसी के ई-टिकट पर लगने वाला सेवा कर समाप्त किया गया है। सेवा कर में भी कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
अचल संपत्ति की बिक्री पर दीर्घकालीन लाभ के लिए पूंजीगत लाभ की पात्रता के लिए आवश्यक धारण अवधि को 3 वर्ष से घटाकर 2 वर्ष किया गया है।
कुल मिलाकर, दीर्घावधि में, सरकार दृढ़ निश्चयी दिखती है कि वो अनावष्यक खैरात नहीं बाटेगी, तगड़ी राजकोशीय षक्ति विकसित करेगी, जनसांख्यिकीय लाभ वर्धन करेगी एवं पिरामिड के सबसे निचले तबके हेतु सामाजिक सुरक्षा लायेगी।
कृपया आर्थिक समीक्षा एवं केंद्रीय बजट के पीडीएफ दस्तावेज हेतु बोधि संसाधन पृष्ठ पर जायें।
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