The government's push to renewable energy is catalysing innovations in the energy market.
India Energy – a new approach
There is a lot of action and positive movement on Indian renewable energy front. India’s renewal energy sector has successfully won record low bid contracts for supplying wind and solar power. Developers quoted Rs. 3.46 per Kwh for a 1 GW wind tender. Similarly, to build a 750 MW solar plant, the quote was Rs. 2.97 per Kwh. This has made wind and solar energy more competitive energy sources without subsidies to bring tariffs down. India is the third biggest greenhouse gas emitter after the US and China, where renewable energy accounts for about 15% (45,917MW, of the total installed capacity of 310,005 MW). Conventional energy also plays an important role in India’s total energy mix. View India’s electricity generation capacity, here
Wind power procurement has the potential to save thousands of crores of public money, which would otherwise have to be borne by the consumers. A thoroughly transparent auction process has enabled competitive prices. Wind industry has so far been used to high tariffs which resulted in demonstration of higher equipment prices. That was possibly one of the reasons for the higher bid amounts. However the bid prices would vary from place to place depending up on the wind potential. In another two decades, India will have the largest growth in global electricity consumption. Hence both conventional and non-conventional energy sectors will have a place in India’s energy sector. India has been constantly trying to provide clean energy to its people and increasing its green energy resources accordingly. That is the conviction of the present government. You can download India’s electricity facts and data from Bodhi Resources page.
[ ##thumbs-o-up## Share Testimonial here - make our day!] [ ##certificate## Volunteer for Bodhi Booster portal]
Amazing Courses - Online and Classroom
भारत ऊर्जा - एक नई सोच
भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में काफी गतिविधि चल रही है। भारत के नवीकरणीय उर्जा क्षेत्र ने पवन और सौर उर्जा प्रदान करने के लिए सफलतापूर्वक न्यून बोली अनुबंध प्राप्त किये हैं।
विकासकर्ताओं ने 1 गीगा वाट पवन निविदा के लिए 3.46 रुपये प्रति किलोवाट घंटा बोली लगाईं। उसी प्रकार से, एक 750 मेगावाट क्षमता वाला सौर संयंत्र लगाने के लिए लगाई गई बोली 2.97 रुपये प्रति किलोवाट घंटा थी। इस प्रक्रिया ने पवन उर्जा और सौर उर्जा को बिना अनुवृत्ति के शुल्कों को कम करने की दृष्टि से अधिक प्रतिस्पर्धात्मक उर्जा स्रोत बना दिया है।
अमेरिका और चीन के बाद भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक देश है जहाँ देश की कुल उर्जा में नवीकरणीय उर्जा का योगदान 15 प्रतिशत है (कुल स्थापित क्षमता 310,005 मेगावाट में से 45,917 मेगावाट) ।
भारत के कुल उर्जा मिश्रण में पारंपरिक उर्जा भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत की स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता के आंकड़े देखें यहाँ
पवन उर्जा की खरीद में हजारों करोड़ रुपये की बचत करने की क्षमता है, जिसे अन्यथा उपभोक्ताओं को वहन करना पड़ता। एक पूर्णतः पारदर्शी निविदा प्रक्रिया ने प्रतिस्पर्धी बोली को सक्षम किया है। अब तक पवन उर्जा क्षेत्र उच्च शुल्क का आदी रहा है जिसके कारण उपकरणों की कीमतें ऊंची रही हैं। ऊंचे मूल्यों की बोलियों का संभवतः यह एक महत्वपूर्ण कारण था। हालांकि बोली की कीमतें स्थान के अनुसार बदलेंगी, जो हवा की क्षमता पर निर्भर होंगी। अगले दो दशकों में भारत के बिजली उपभोग में विश्व में सर्वाधिक तेजी से वृद्धि होने की संभावना है। अतः भारत के उर्जा क्षेत्र में पारंपरिक और अपारंपरिक, दोनों उर्जा स्रोतों का स्थान बना रहेगा। भारत अपने नागरिकों को स्वच्छ उर्जा प्रदान करने की दृष्टि से निरंतर रूप से प्रयासरत रहा है और तदनुसार अपने हरित बिजली संसाधनों में वृद्धि के प्रयास कर रहा है। वर्तमान सरकार की यही अवधारणा है। आप भारत के बिजली क्षेत्र के आंकड़े बोधि संसाधन पृष्ठ से डाउनलोड कर सकते हैं
पवन उर्जा की खरीद में हजारों करोड़ रुपये की बचत करने की क्षमता है, जिसे अन्यथा उपभोक्ताओं को वहन करना पड़ता। एक पूर्णतः पारदर्शी निविदा प्रक्रिया ने प्रतिस्पर्धी बोली को सक्षम किया है। अब तक पवन उर्जा क्षेत्र उच्च शुल्क का आदी रहा है जिसके कारण उपकरणों की कीमतें ऊंची रही हैं। ऊंचे मूल्यों की बोलियों का संभवतः यह एक महत्वपूर्ण कारण था। हालांकि बोली की कीमतें स्थान के अनुसार बदलेंगी, जो हवा की क्षमता पर निर्भर होंगी। अगले दो दशकों में भारत के बिजली उपभोग में विश्व में सर्वाधिक तेजी से वृद्धि होने की संभावना है। अतः भारत के उर्जा क्षेत्र में पारंपरिक और अपारंपरिक, दोनों उर्जा स्रोतों का स्थान बना रहेगा। भारत अपने नागरिकों को स्वच्छ उर्जा प्रदान करने की दृष्टि से निरंतर रूप से प्रयासरत रहा है और तदनुसार अपने हरित बिजली संसाधनों में वृद्धि के प्रयास कर रहा है। वर्तमान सरकार की यही अवधारणा है। आप भारत के बिजली क्षेत्र के आंकड़े बोधि संसाधन पृष्ठ से डाउनलोड कर सकते हैं
Useful resources for you
[Newsletter ##newspaper-o##] [Bodhi Shiksha channel ##play-circle-o##] [FB ##facebook##] [हिंदी बोधि ##leaf##] [Sameeksha live ##graduation-cap##] [Shrutis ##fa-headphones##] [Quizzes ##question-circle##] [Bodhi Revision ##book##]
COMMENTS