India's renewable energy sector is witnessing renewed government energy. Good for all!
India’s Renewable dreams
India has a massively ambitious goal of creating a base of 100 GW of solar power by 2022, and to raise the share of renewable in the total energy mix to 40%. Multiple steps being taken are : Solar Power parks, Public funding, Rooftop solar promotion for citizens and small businesses, using solar for railways and stadia, etc. Aim With the above objective, the Cabinet Committee on Economic Affairs (CCEA) cleared a plan for doubling the capacity of solar power installed in dedicated solar parks to 40 GW by 2020. Expanding solar power capacity is a more efficient means to meet commitment to control carbon emissions under the Paris Agreement on Climate Change. Read our Bodhi on Environment here
Jobs in solar energy have witnessed the fastest growth since 2011 (as per a report by the International Renewable Energy Agency). Thus, this sector has a huge potential of creating additional employment as well. You can view the report on Bodhi Resources page Asia has harnessed this potential the most, providing 60% of all renewable energy employment. China is leading in this area. India should aim at competitive manufacturing of the full chain of photovoltaics, and open training facilities to create trained human resources for the industry. Low-cost financing channels are most important from the point of view of augmenting quick solar energy capacity. Regulators would have to take into account the reduction of levelised costs of electricity (the average break-even price over a project’s lifetime) as public financing for renewable energy is reducing. Regulated debt instruments like green bonds could be an option to achieve ambitious targets early. The funding mix for renewable should give climate financing an important role. At the Paris UN Climate Change Conference, developed countries pledged to raise $ 100 billion per year by 2020 for mitigation. This promise should be vigorously pursued.
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भारत के नवीकरणीय स्वप्न
भारत ने वर्ष 2022 तक 100 गीगा वाट सौर उर्जा आधार के निर्माण और कुल उर्जा मिश्रण में नवीकरणीय उर्जा के हिस्से को 40 प्रतिशत तक बढाने का बेहद महत्वकांक्षी लक्ष्य रखा है। अनेक प्रयासों में शामिल हैं : सौर ऊर्जा पार्क, सार्वजनिक निवेश, घरों और छोटे व्यवसायों हेतु छत पर सौर ऊर्जा, रेलवे और स्टेडियमों हेतु सौर ऊर्जा आदि।
उपरोक्त उद्देश्य से आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने समर्पित सौर उद्यानों की क्षमता को वर्ष 2020 तक दुगना करके इसे 40 गीगा वाट तक पहुँचाने की योजना को मंजूरी प्रदान की है।
जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के तहत कार्बन उत्सर्जनों को नियंत्रित करने की प्रतिबद्धता को पूर्ण करने की दृष्टि से सौर बिजली क्षमता का विस्तार करना एक अधिक कुशल साधन साबित हो सकता है। पर्यावरण पर हमारी बोधि अवश्य पढ़ें
वर्ष 2011 से सौर उर्जा के क्षेत्र में नौकरियों में सबसे तेज गति से वृद्धि देखी गई है (जैसा कि अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय उर्जा अभिकरण की रिपोर्ट में कहा गया)। इस प्रकार, इस क्षेत्र में अतिरिक्त रोजगार निर्माण करने की भी विशाल क्षमता मौजूद है। ये रिपोर्ट आप बोधि संसाधन पृष्ठ से डाउनलोड करें एशिया ने इस क्षमता का सर्वाधिक लाभ उठाया है, जहाँ संपूर्ण नवीकरणीय उर्जा रोजगार का 60 प्रतिशत रोजगार इस क्षेत्र द्वारा प्रदान किया गया है। इस क्षेत्र में चीन शीर्ष पर है। भारत को फोटोवोल्टिक की संपूर्ण श्रृंखला के प्रतिस्पर्धात्मक विनिर्माण का लक्ष्य रखना चाहिए, और साथ ही इस उद्योग के लिए आवश्यक प्रशिक्षित मानव संसाधन का निर्माण करना चाहिए। शीघ्र सौर उर्जा क्षमता प्राप्त करने की दृष्टि से अल्प-लागत वित्तीयन स्रोत अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। नियामकों को बिजली की स्तरीकृत लागतों (किसी परियोजना के जीवनकाल में औसत ब्रेक-इवन मूल्य) में कमी को भी ध्यान में रखना होगा, चूंकि नवीकरणीय ऊर्जा हेतु सार्वजानिक निवेश काम हो रहा है। महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को शीघ्र प्राप्त करने की दृष्टि से हरित बंधक-पत्रों जैसे विनियमित ऋण प्रपत्र भी विकल्प हो सकता है। नवीकरणीय के लिए निधीयन मिश्रण में जलवायु वित्तीयन को भी एक महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान की जानी चाहिए। पेरिस में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में विकसित देशों ने शमन के लिए वर्ष 2020 तक प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर जुटाने की प्रतिबद्धता दर्शाई। इस वादे को पूरा करने के लिए संपूर्ण शक्ति से प्रयास करना चाहिए।
वर्ष 2011 से सौर उर्जा के क्षेत्र में नौकरियों में सबसे तेज गति से वृद्धि देखी गई है (जैसा कि अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय उर्जा अभिकरण की रिपोर्ट में कहा गया)। इस प्रकार, इस क्षेत्र में अतिरिक्त रोजगार निर्माण करने की भी विशाल क्षमता मौजूद है। ये रिपोर्ट आप बोधि संसाधन पृष्ठ से डाउनलोड करें एशिया ने इस क्षमता का सर्वाधिक लाभ उठाया है, जहाँ संपूर्ण नवीकरणीय उर्जा रोजगार का 60 प्रतिशत रोजगार इस क्षेत्र द्वारा प्रदान किया गया है। इस क्षेत्र में चीन शीर्ष पर है। भारत को फोटोवोल्टिक की संपूर्ण श्रृंखला के प्रतिस्पर्धात्मक विनिर्माण का लक्ष्य रखना चाहिए, और साथ ही इस उद्योग के लिए आवश्यक प्रशिक्षित मानव संसाधन का निर्माण करना चाहिए। शीघ्र सौर उर्जा क्षमता प्राप्त करने की दृष्टि से अल्प-लागत वित्तीयन स्रोत अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। नियामकों को बिजली की स्तरीकृत लागतों (किसी परियोजना के जीवनकाल में औसत ब्रेक-इवन मूल्य) में कमी को भी ध्यान में रखना होगा, चूंकि नवीकरणीय ऊर्जा हेतु सार्वजानिक निवेश काम हो रहा है। महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को शीघ्र प्राप्त करने की दृष्टि से हरित बंधक-पत्रों जैसे विनियमित ऋण प्रपत्र भी विकल्प हो सकता है। नवीकरणीय के लिए निधीयन मिश्रण में जलवायु वित्तीयन को भी एक महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान की जानी चाहिए। पेरिस में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में विकसित देशों ने शमन के लिए वर्ष 2020 तक प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर जुटाने की प्रतिबद्धता दर्शाई। इस वादे को पूरा करने के लिए संपूर्ण शक्ति से प्रयास करना चाहिए।
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