The Union Budget strikes a balance between expenditure, consumption and borrowings.
Union Budget 2017-18 – An eye on the future
Budget 2017 can be said to be trying to benefit some but harm none. The fiscal deficit target is in line with the gross borrowing programme, which has not been enhanced this year. This will also allow the RBI to take a call on policy rates independent of govt. borrowing programme. Cut in income tax rates in the lower income slab would help increase spending which has been badly affected post DeMo. Similarly, since the indirect tax slabs have not been changed, the inflation impact should be neutral for the present till the time GST is implemented. The focus of capital expenditure has been on transportation infra structure sector (railways, highways and roads). This should positively affect the heavy industries sector (cement, steel, machinery electrical equipments etc). This is also reflected in the higher thrust on housing sector as the above industries are closely linked to housing sector. To boost private investment, which plays a major role in increasing investment, the FM should have given benefits in corporate tax. According to the budget, this year seems to be the year of consolidation with the GST implementation and remonetisation. This is likely to lead to a big disinvestment programme being undertaken. You can refer to Bodhi resources page for downloading the PDFs of Economic Survey and Union Budget.
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केंद्रीय बजट 2017-2018 - भविष्य पर दृष्टि
इस बजट के विषय में कहा जा सकता है कि इसने कुछ लोगों को लाभान्वित करने का प्रयास किया है परंतु किसी को नुकसान नहीं पहुँचाया है।
राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल उधार कार्यक्रम के अनुरूप है, जिसमें इस वर्ष कोई वृद्धि नहीं की गई है।
इसके कारण आरबीआई सरकारी उधार कार्यक्रम के बारे में चिंता किये बिना स्वतंत्र रूप से नीतिगत ब्याज दरों का विचार कर सकती है।
न्यून-आय स्लैब में आयकर में छूट का परिणाम लोगों द्वारा अधिक व्यय में होगा जो विमुद्रीकरण के बाद से बुरी तरह से प्रभावित रहा है।
उसी प्रकार, चूंकि अप्रत्यक्ष कर दरों में परिवर्तन नहीं किया गया है अतः जीएसटी के क्रियान्वयन तक वर्तमान समय में मुद्रास्फीति का प्रभाव तटस्थ होगा।
पूंजीगत व्यय का केंद्रबिंदु परिवहन अधोसंरचना क्षेत्र रहा है (रेलवे, महामार्ग और सड़कें)। इसका भारी प्रभाव उद्योग क्षेत्र पर (सीमेंट, इस्पात, मशीनें, विद्युत् उपकरण इत्यादि) सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
इसका प्रतिबिंब आवास क्षेत्र पर दिए गए अधिक जोर में भी दिखाई देता है क्योंकि ये सभी उद्योग आवास क्षेत्र से निकट से जुड़े हुए हैं।
निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए, जो सकल निवेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, वित्तमंत्री को निगमित करों में कुछ लाभ देने चाहिए थे।
बजट के अनुसार यह वर्ष समेकन का वर्ष प्रतीत होता है जिस दौरान जीएसटी का क्रियान्वयन और पुनर्मुद्रीकरण होगा। इसका परिणाम एक बड़े विनिवेश कार्यक्रम के होने में हो सकता है।
कृपया आर्थिक समीक्षा और केंद्रीय बजट के सभी दस्तावेज बोधि संसाधन पृष्ठ से डाउनलोड करें।
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