The Indian I.T. sector needs to dramatically overhaul its skilling processes to stay relevant. | भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र को अपनी कौशल निर्माण प्रक्रियाओं को तेज़ी से सुधारना होगा।
InfoTech faces a huge skills problem
India’s IT sector is by far the largest and best employment generator for top skilled professionals, amongst all services sector companies. Other sectors want to attract IT employees due to their high disposable income. Today, the IT sector is faced with challenges which may relegate this sector to a not-so-lucrative sector in the near future. These challenges have been building over the years, nothing is immediate. The biggest uncertainty : Donald Trump’s US administration. It may strangulate the visa regime that is a source of smooth flow of manpower and revenues. Read more such analyses here But a bigger problem : Skill levels of the sector’s employees. The CapGemini India CEO’s Feb 2017 statement is tell-tale! He said that 65% of his staff are untrainable! McKinsey reports say that due to major changes, around 20 lacs (out of the total approximately 40 lac) professionals will become irrelevant in the next three to four years. Continuous re-skilling to keep themselves relevant and employable is the professionals’ responsibility. Read more on Education and employment, here
[##fire## What's wrong with Indian education - a perspective]
Our policy-makers and the education and skilling sector must take note : it is a challenge for them too! With the skilling costs continuously increasing and the currency advantage lost, it has become prohibitive for the IT industry to continue to skill its employees on its own. The burden naturally falls on the educational institutions and the skilling centres to provide adequately skilled personnel to the IT industry. Are they upto the mark? Even in the knowledge industry, the definition of knowledge has changed. This makes their job all the more difficult and challenging. Knowledge industry has been steadfastedly focused on “returns” than anything else! They will have to shed their returns focus and build more and more on skill focus. They will have to give preference to quality over quantity. The situation is already frightening and worsening further, and time is ripe to make necessary amends if we want our IT industry to thrive. This is India’s jewel in the crown, we must not allow it to evaporate.
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सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग विशाल कौशल समस्या का सामना कर रहा है
भारत का सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र,सभी सेवा क्षेत्र की कंपनियों की तुलना में उच्च कौशल वाले पेशवरों के लिए सबसे बड़ा और सर्वश्रेष्ठ रोजगार निर्माता है। उनकी उच्च प्रयोज्य आय के कारण अन्य क्षेत्र भी सूचना प्रौद्योगिकी कर्मचारियों को आकर्षित करना चाहते हैं।
आज सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के समक्ष चुनौतियाँ हैं जो निकट भविष्य में इस क्षेत्र को कुछ हद तक कम आकर्षक क्षेत्र में परिवर्तित कर सकती हैं। ये चुनौतियाँ समय के साथ निर्मित होती रही हैं, ये तात्कालिक नहीं हैं।
सबसे बड़ी अनिश्चितता - डॉनल्ड ट्रम्प का अमेरिकी प्रशासन। यह वीजा शासन का गला घोंट सकता है, जो अब तक मानव बल और राजस्वों के निर्बाध प्रवाह का स्रोत रहा है। ऐसे अन्य विश्लेषण यहाँ पढ़ें।
परंतु एक अन्य बड़ी समस्या : क्षेत्र के कर्मचारियों का कौशल स्तर। कैपजैमिनी इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का फरवरी 2017 का वक्तव्य इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है ! उन्होंने कहा कि उनके 65 प्रतिशत कर्मचारी प्रशिक्षण की दृष्टि से अयोग्य हैं !
मैककिंसे की रिपोर्ट कहती है कि प्रमुख परिवर्तनों के कारण 20 लाख से अधिक (कुल काग्भाग 40 लाख में से) पेशेवर अगले तीन से चार वर्षों में अप्रासंगिक हो जाएँगे। अपने आपको प्रासंगिक और रोजगारयोग्य बनाए रखना इन पेशेवरों की जिम्मेदारी है। शिक्षा और रोजगार पर अधिक जानकारी यहाँ पढ़ें।
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हमारे नीति-निर्माताओं और शिक्षा और कुशल प्रदाता केन्द्रों को इस पर ध्यान देना चाहिए रू यह उनके लिए भी एक चुनौती है ! कौशल प्रदान की लागतें निरंतर बढती जा रही हैं और मुद्रा लाभ कम होता जा रहा है, ऐसे में सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों की दृष्टि से अपने स्तर पर इन्हें कौशल और प्रशिक्षण प्रदान करना अत्यधिक महंगा होता जा रहा है। इसकी जिम्मेदारी स्वाभाविक रूप से शिक्षण संस्थाओं और कौशल प्रदाता केन्द्रों पर बढ़ जाती है कि वे पर्याप्त रूप से कुशल कर्मचारी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों को प्रदान करें। क्या ये इस दृष्टि से तैयार हैं? यहाँ तक कि ज्ञान उद्योग में भी ज्ञान की परिभाषा बदल गई है। इसके कारण उनका कार्य और भी अधिक कठिन और चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ज्ञान उद्योग किसी अन्य वस्तु के बजाय दृढ़तापूर्वक “प्रतिफल” पर ही केंद्रित रहा है ! उन्हें प्रतिफल पर ध्यान केंद्रित करने की अपनी मानसिकता का त्याग करना होगा और स्वयं का निर्माण अधिक से अधिक कौशल केंद्रित के रूप में करना होगा। उन्हें संख्या पर गुणवत्ता को तरजीह देनी होगी। स्थिति पहले से ही भयावह हो चुकी है और यह निरंतर बिगडती जा रही है, अतः यदि हम चाहते हैं कि हमारा सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र लगातार बढ़ता रहे तो परिवर्तन का समय अब आचुका है। यह भारत के मुकुट का मणि है हमें इसे लुप्त नहीं होने देना चाहिए।
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