India needs to push its startup culture big time, if genuine wealth creation is to be done. | भारत को अपनी स्टार्टअप संस्कृति तेज़ी से आगे बढ़ानी होगी यदि हमें तेज़ गति से सम्पन्नता बनानी है तो।
Ideas need action to become enterprises
When innovation happens, and is nurtured properly, economic growth results. That is why supporting innvovation and entrepreneurship is a worthy goal to pursue for a government. What is a Start-up? A smart, innovative new venture that can offer a valuable proposition to its customers, and can work in a way to grow fast (“scale rapidly”). Result? Amazing returns for its investors (“disproportionate value”) But 9 out of 10 startups eventually will die down. Mortality rates are high! A Startup is one that faces multiple risks. What kind of risks? (1) Execution Risk, (2) Concept Risk, (3) Technology Risk, (4) Market Risk, (5) Growth Risk (scaling up risk) etc. Hence, most die down, felled by one or the other of these risks. Startups need to first survive, and then scale. Read many Bodhi Saars on this topic, here What are “Business Incubators”? These are organizations (or support structures) that are designed to give guidance, mentoring, support and resources to reduce this mortality rate of Startups. An example : The Atal Innovation Mission (AIM) at NITI Aayog. It supports countrywide incubation centres to develop an environment for radical innovation in India. And innovation is about getting more output from same inputs. And commercialization of innovation = Enterprise creation.
The AIM is aiming at creating at least 100 Atal Incubation Centres (AICs) and growing Established Incubation Centres (EICs). Read about “Time for an Indian Google” here! Ideally, any incubator must give some seed capital, and leads to “angel investors”. And it must lead the Startup to a whole network of useful contacts globally (Why? For training, learning, awards, recognition, etc.) Joseph Schumpeter in 1942 spoke of “Creative Destruction” which is basically “new replacing the old and outdated”. It is a cycle, a cycle of economic prosperity and growth. If India truly innovates, and uses that energy to grow at 9% p.a. or more, then in 20 years, we will become a $ 10 trillion economy (that China already has become by 2017). Read many Bodhi Saars on our GDP here Israel and Singapore have already invested huge sums into creating successful Startup Cultures. India must replicate, or even better them, if we want to harness our youth energies and emerge successful in the long run. Why does India need its own consumer internet superstars? Read here – “A call for digital independence”
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उद्यम बनने के लिए विचारों को है कृति की आवश्यकता
जब नवाचार होता है और उसे उचित ढंग से पोषित किया जाता है तो उसका परिणाम आर्थिक वृद्धि में होता है। इसीलिए नवाचारों और उद्यमिता को प्रोत्साहित करना किसी भी सरकार का योग्य लक्ष्य होता है।
स्टार्टअप क्या है? एक चतुर, अभिनव और नया उपक्रम जो अपने ग्राहकों को एक मूल्यवान साधन प्रदान कर सकता है और तेजी से बढ़ने की दिशा में काम (अपना पैमाना तेजी से बढ़ाना)कर सकता है। परिणाम? इसके निवेशकों के लिए अद्भुत प्रतिफल (अनुपातहीन मूल्य) । परंतु 10 में से 9 स्टार्टअप अंततः खत्म हो जाएँगे। मृत्यु दरें उच्च होती हैं !
स्टार्टअप वह होता है जो बहुविध जोखिमों और खतरों का सामना करता है। किस प्रकार की जोखिमें? (1) क्रियान्वयन जोखिम, (2) अवधारणा जोखिम, (3) प्रौद्योगिकी जोखिम, (4) बाजार जोखिम, (5) वृद्धि जोखिम (पैमाना बढाने की जोखिम), इत्यादि। इसीलिए इनमें से अधिकांश इनमें से किसी एक जोखिम के कारण मर जाते हैं। स्टार्टअप की दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि पहले उसे जीवित रहना चाहिए और फिर बढ़ना चाहिए। इस विषय पर अनेक बोधि सार पढ़ें।
“व्यापार इनक्यूबेटर” क्या है? ये वे संगठन (या समर्थन संरचनाएं) हैं जिनकी रचना इन स्टार्टअप्स की मृत्यु दर कम करने के लिए मार्गदर्शन, सलाह, सहायता और समर्थन, और संसाधन प्रदान करने की दृष्टि से की जाती है।
एक उदाहरण : नीति आयोग का अटल नवाचार मिशन (एआईएम)। यह देश भर के इनक्यूबेटर केन्द्रों को भारत में परिवर्तनशील नवाचार के वातावरण के विकास के लिए सहायता प्रदान करता है। और नवाचार का अर्थ है उन्हीं निविष्टियों से अधिक उत्पादन प्राप्त करना। और नवाचार का वाणिज्यीकरण = उद्यम निर्माण।
एआईएम का लक्ष्य कम से कम 100 अटल इनक्यूबेटर केन्द्रों के निर्माण और स्थापित इनक्यूबेटर केन्द्रों की वृद्धि का है। "एक भारतीय गूगल का समय“ के बारे में यहाँ पढ़ें"। आदर्श रूप से किसी भी इनक्यूबेटर को एक प्रारंभिक पूँजी प्रदान की जानी चाहिए और इसका परिणाम “एन्जल निवेशक” में होता है। साथ ही इसे स्टार्टअप को वैश्विक दृष्टि से उपयोगी संपर्कों के संपूर्ण संजाल की ओर निर्देशित करना चाहिए। (क्यों? प्रशिक्षण, शिक्षा, पुरस्कार, पहचान और मान्यता इत्यादि के लिए) । जोसफ शुम्पीटर ने वर्ष 1942 में “रचनात्मक विनाश” के बारे में कहा था, जिसका वास्तविक अर्थ होता है “नए द्वारा पुराने और अप्रचालितों का प्रतिस्थापन” । यह आर्थिक संपन्नता और वृद्धि का एक चक्र है। यदि भारत वास्तव में नवाचार करता है और उस उर्जा का उपयोग 9 प्रतिशत या उससे अधिक की दर से वृद्धि करने के लिए करता है तो अगले 20 वर्षों में हम 10 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएँगे (जो चीन वर्ष 2017 में पहले ही बन चुका है) । जीडीपी विषय पर अनेक बोधि सार पढ़ें। इजराइल और सिंगापुर ने पहले ही सफल स्टार्टअप संस्कृतियों के निर्माण के लिए विशाल धनराशियों का निवेश किया है। भारत को उनकी नकल करना चाहिए या उनसे भी बेहतर करना चाहिए यदि हम अपनी युवा उर्जा को संवर्धित करना चाहते हैं और दीर्घकाल में सफल होकर उभारना चाहते हैं। भारत को अपने स्वयं के उपभोक्ता इंटरनेट सुपरस्टार क्यों चाहिए? ”डिजिटल स्वतंत्रता की मांग“ पर लेख यहाँ पढ़ें।
Useful resources for youएआईएम का लक्ष्य कम से कम 100 अटल इनक्यूबेटर केन्द्रों के निर्माण और स्थापित इनक्यूबेटर केन्द्रों की वृद्धि का है। "एक भारतीय गूगल का समय“ के बारे में यहाँ पढ़ें"। आदर्श रूप से किसी भी इनक्यूबेटर को एक प्रारंभिक पूँजी प्रदान की जानी चाहिए और इसका परिणाम “एन्जल निवेशक” में होता है। साथ ही इसे स्टार्टअप को वैश्विक दृष्टि से उपयोगी संपर्कों के संपूर्ण संजाल की ओर निर्देशित करना चाहिए। (क्यों? प्रशिक्षण, शिक्षा, पुरस्कार, पहचान और मान्यता इत्यादि के लिए) । जोसफ शुम्पीटर ने वर्ष 1942 में “रचनात्मक विनाश” के बारे में कहा था, जिसका वास्तविक अर्थ होता है “नए द्वारा पुराने और अप्रचालितों का प्रतिस्थापन” । यह आर्थिक संपन्नता और वृद्धि का एक चक्र है। यदि भारत वास्तव में नवाचार करता है और उस उर्जा का उपयोग 9 प्रतिशत या उससे अधिक की दर से वृद्धि करने के लिए करता है तो अगले 20 वर्षों में हम 10 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएँगे (जो चीन वर्ष 2017 में पहले ही बन चुका है) । जीडीपी विषय पर अनेक बोधि सार पढ़ें। इजराइल और सिंगापुर ने पहले ही सफल स्टार्टअप संस्कृतियों के निर्माण के लिए विशाल धनराशियों का निवेश किया है। भारत को उनकी नकल करना चाहिए या उनसे भी बेहतर करना चाहिए यदि हम अपनी युवा उर्जा को संवर्धित करना चाहते हैं और दीर्घकाल में सफल होकर उभारना चाहते हैं। भारत को अपने स्वयं के उपभोक्ता इंटरनेट सुपरस्टार क्यों चाहिए? ”डिजिटल स्वतंत्रता की मांग“ पर लेख यहाँ पढ़ें।
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