It's now or never for Indian economy - deep, structural reforms can change the face of India.
Time for deep economic reforms is now!
Despite whatever the critics of DeMo said, our economy did very well as per CSO GDP estimates. ( view the CSO data here and here, and download the CSO GDP pdf here – from the CSO tab ) The Q4 can show some correction due to informal sector getting affected, as time-lag exists in collection of that data in India. It is not correct to blame the CSO as leads and lags have existed always, including past GDP numbers. Hopes now – (1) Digitisation and less cash transactions can lead to more financial inclusion, (2) Informal economy getting formalized, (3) Dark fears of big collapse are looking highly misplaced, (4) Two other global assessments are also in same direction (IMF and OECD) are positive on India. ( Download both reports now from Bodhi Resources page – IMF, World Bank, OECD tab )
We now take a look at important data from IMF / OECD / Economist reports. Key learnings – (1) India’s overall macroeconomic framework remains remains robust and credible, (2) Four good things – regular fiscal consolidation, low CAD, low inflation, high public and private consumption, (3) Downside headwinds look very modest now (Chinese slowdown, oil price rise etc.), etc. Enroll in our Online Economic Survey and Budget Course for more
Concerns and actions expected – (1) High interest payments due to large debt stock, and by 2023 our debt-to-GDP should be brought to 60%, (2) Our macroeconomic stability depends on reducing this debt and also controlling Fiscal Deficit targets, (3) Twin Balance Sheet problem is dangerous now, and we have to differentiate stock from flow in NPAs, (4) All political parties must come together for deeper, lasting economic reforms – don’t expect it only from BJP. We have to go Institutionally. Positive steps taken already – (1) Banks Board Bureau, (2) MPC, and (3) GST Council. But now we need a Banking and Finance Council to tackle the entire Banking sector and NPAs issue head-on. This may be the biggest reform ever, but RBI has a vested interest conflicting with it as of now. Hence, tenacity is the key. India has to now look boldly to the future with major reforms waiting to be enacted. The future is bright.
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गहरे आर्थिक सुधारों का समय अब है!
विमुद्रीकरण के आलोचक चाहे कुछ भी कहते हों परंतु केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के जीडीपी अनुमानों के अनुसार हमारी अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा रहा है। (सीएसओ के आंकडे यहाँ, और यहाँ देखें और सीएसओ टैब से सीएसओ जीडीपी पीडीएफ यहाँ डाउनलोड करें) । अनौपचारिक क्षेत्र पर हुए प्रभाव के कारण चौथी तिमाही में कुछ सुधार दिखाई पड़ सकता है, क्योंकि भारत में इसके आंकडे आने में कुछ समय लगता है।
सीएसओ को दोष देना सही नहीं है क्योंकि उतार-चढ़ाव पहले भी होते रहे हैं, जिनमें पिछले जीडीपी आंकडे भी शामिल हैं।
वर्तमान आशाएं - (1) डिजिटलीकरण और अल्प नकद लेनदेन का परिणाम और अधिक वित्तीय समावेशन में हो सकता है, (2) अनौपचारिक अर्थव्यवस्था औपचारिक बनती जा रही है, (3) बड़े पतन के काले भय अत्यधिक संदिग्ध प्रतीत हो रहे हैं, (4) दो अन्य वैश्विक समीक्षाएं भी इसी दिशा में हैं (आइएमएफ और ओईसीडी), वे भारत पर सकारात्मक हैं।
(बोधि संसाधन पृष्ठ से दोनों रिपोर्ट्स अभी डाउनलोड करें - आइएमएफ, विश्व बैंक, ओईसीडी टैब)
अब हम आइएमएफ/ओईसीडी/इकोनॉमिस्ट रिपोर्ट्स के महत्वपूर्ण आंकड़ों पर नजर डालते हैं। महत्वपूर्ण सीखें - (1) भारत की समग्र स्थूल आर्थिक रूपरेखा मजबूत और विश्वसनीय बनी हुई है, (2) चार अच्छी बातें - नियमित राजकोषीय समेकन, न्यून चालू खाता घाटा (सीएडी), कम मुद्रास्फीति, उच्च सार्वजनिक और निजी उपभोग, (3) नकारात्मक पक्ष अब बहुत मामूली दिखाई देते हैं (चीन की मंदी, तेल कीमतों में वृद्धि इत्यादि), इत्यादि। अधिक जानकारी के लिए हमारे आर्थिक समीक्षा और बजट पाठ्यक्रम पर ऑनलाइन नामांकन करें।
चिंताएं और अपेक्षित कार्यवाही - (1) विशाल ऋण भंडार के कारण उच्च ब्याज भुगतान, और वर्ष 2023 तक हमारे ऋण-से-जीडीपी को 60 प्रतिशत तक लाया जाना चाहिए, (2) हमारी स्थूल आर्थिक स्थिरता इस ऋण को कम करने और साथ ही राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों को नियंत्रित करने पर निर्भर है। (3) दोहरी तुलन-पत्र समस्या अब खतरनाक बन गई है, और हमें अब भंडार को अनर्जक परिसंपत्तियों में प्रवाह से अलग करना होगा, (4) सभी राजनीतिक दलों को अधिक गहरे, स्थाई आर्थिक सुधारों के लिए एकसाथ आना होगा - केवल भाजपा से ही इसकी अपेक्षा न करें। हमें संस्थागत तरीके से आगे बढ़ना होगा। अब तक किये गए सकारात्मक उपाय - (1) बैंक बोर्ड ब्यूरो, (2) एमपीसी और (3) जीएसटी परिषद। परंतु अब हमें संपूर्ण बैंकिंग क्षेत्र और अनर्जक परिसंपत्तियों के मुद्दों से सीधे निपटने के लिए एक बैंकिंग एवं वित्तीय परिषद की आवश्यकता है। यह अब तक का सबसे बड़ा सुधार हो सकता है, परंतु वर्तमान में आरबीआई के इसके साथ कुछ अंतर्निहित हितों के टकराव हो रहे हैं। अतः दृढ़ता सबसे महत्वपूर्ण है। भारत को अब मजबूती से भविष्य की ओर देखना चाहिए क्योंकि प्रमुख सुधार अधिनियमित होने के इंतजार में हैं। भविष्य निश्चित रूप से उज्जवल है।
अब हम आइएमएफ/ओईसीडी/इकोनॉमिस्ट रिपोर्ट्स के महत्वपूर्ण आंकड़ों पर नजर डालते हैं। महत्वपूर्ण सीखें - (1) भारत की समग्र स्थूल आर्थिक रूपरेखा मजबूत और विश्वसनीय बनी हुई है, (2) चार अच्छी बातें - नियमित राजकोषीय समेकन, न्यून चालू खाता घाटा (सीएडी), कम मुद्रास्फीति, उच्च सार्वजनिक और निजी उपभोग, (3) नकारात्मक पक्ष अब बहुत मामूली दिखाई देते हैं (चीन की मंदी, तेल कीमतों में वृद्धि इत्यादि), इत्यादि। अधिक जानकारी के लिए हमारे आर्थिक समीक्षा और बजट पाठ्यक्रम पर ऑनलाइन नामांकन करें।
चिंताएं और अपेक्षित कार्यवाही - (1) विशाल ऋण भंडार के कारण उच्च ब्याज भुगतान, और वर्ष 2023 तक हमारे ऋण-से-जीडीपी को 60 प्रतिशत तक लाया जाना चाहिए, (2) हमारी स्थूल आर्थिक स्थिरता इस ऋण को कम करने और साथ ही राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों को नियंत्रित करने पर निर्भर है। (3) दोहरी तुलन-पत्र समस्या अब खतरनाक बन गई है, और हमें अब भंडार को अनर्जक परिसंपत्तियों में प्रवाह से अलग करना होगा, (4) सभी राजनीतिक दलों को अधिक गहरे, स्थाई आर्थिक सुधारों के लिए एकसाथ आना होगा - केवल भाजपा से ही इसकी अपेक्षा न करें। हमें संस्थागत तरीके से आगे बढ़ना होगा। अब तक किये गए सकारात्मक उपाय - (1) बैंक बोर्ड ब्यूरो, (2) एमपीसी और (3) जीएसटी परिषद। परंतु अब हमें संपूर्ण बैंकिंग क्षेत्र और अनर्जक परिसंपत्तियों के मुद्दों से सीधे निपटने के लिए एक बैंकिंग एवं वित्तीय परिषद की आवश्यकता है। यह अब तक का सबसे बड़ा सुधार हो सकता है, परंतु वर्तमान में आरबीआई के इसके साथ कुछ अंतर्निहित हितों के टकराव हो रहे हैं। अतः दृढ़ता सबसे महत्वपूर्ण है। भारत को अब मजबूती से भविष्य की ओर देखना चाहिए क्योंकि प्रमुख सुधार अधिनियमित होने के इंतजार में हैं। भविष्य निश्चित रूप से उज्जवल है।
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