Breaking the mould, prime minister Modi has set himself and the Party on an agenda of developmental politics. | सांचे को तोड़ते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं को, और भाजपा को, विकास की राजनीति के पथ पर आगे बढ़ा दिया है
Modi’s UP wave and after
In the Feb-March 2017 Assembly Elections in 5 states, of the total 690 seats being contested, UP alone accounted for 403 seats, of which the BJP won 312! We have analysed the entire election results in our Bodhi here! Historically, even those who win a majority of Lok Sabha seats from UP, often fare badly in Assembly Elections. An Example : Rajiv Gandhi the unstoppable in 1984 has to face a strong Lok Dal in 1985 which bagged 84 assembly seats.
Modi has smashed all historical precedents. He won the Lok Sabha, and then the Vidhan Sabha. How? Of the many factors, the SP and the BSP simply collapsing did help! This happened despite all negative mentioned by opponents – no CM face, rebels from BJP, dal-badlus fielded by the BJP etc. Nothing mattered. Nothing at all, in front of Modi’s energy and charisma. What Rahul Gandhi said actually came true, in a horrible nightmare for the Congress, though. Indeed it was only Modi all the way, and all the way to victory! The reporters found during their tour that people believe every word of Narendra Modi “blindly” – his words in the “Mann ki baat”, in the speeches, in tours abroad etc. His demonetization has worked miraculously in his favour, not against him. It made the poor jump with joy, seeing the rich so uncomfortable. For the first time in independent India perhaps they experienced the joy. [speaks volumes about “Garibi Hatao” kind of programmes] Modi’s image – Good, Clean of Heart, Messiah of the Poor (nek, saaf dil, garibon ka masiha). This is the worst nightmare for the redistributive doles politics of Congress or SP or BSP or whichever Party one can think of. The foreign trips are viewed very favourably as having brought respect for India. Read about Modi Doctrine here
SP and Akhilesh Yadav’s overtly pro-Muslim partisanship had rankled many over the years – the BJP used it wonderfully to its own advantage. Many people actually appreciated the BJP for not fielding a single Muslim candidate (the BSP did the reverse – fielded far too many). Media experts are criticizing both for reverse-polarisation and polarization, respectively! The victory holds many lessons for the future. Development must happen, or disenchantment will be severe.
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एक सांचे को तोड़ने वाली विजय की अंतर्निहित सीखें
यह एक ऐसे समाचारपत्र से है जो मोदी को कोसने के अपने उत्कृष्ट और लगातार प्रमाणन के लिए जाना जाता है। यह मोदी, भाजपा और एनडीए को सांप्रदायिक राजनीति और झूठे वादों के लिए नामित करने का एक भी अवसर नहीं गंवाता है।
5 राज्यों में हुए फरवरी-मार्च 2017 के चुनावों में लड़ी गई कुल 690 सीटों में से अकेले उ.प्र. में ही 403 सीटें थीं, जिनमें से 312 सीटें भाजपा ने जीतीं! चुनाव परिणामों का विश्लेषण विषय पर बोधि पढ़ें। ऐतिहासिक दृष्टि से जो राजनीतिक दल उ.प्र. से सर्वाधिक लोकसभा सीटें जीतता है, उसका प्रदर्शन भी विधानसभा चुनावों में खराब रहता है। एक उदाहरण: वर्ष 1984 में जो राजीव गाँधी अजेय थे, उन्हें भी वर्ष 1985 में एक मजबूत लोकदल का सामना करना पड़ा था जिसने 84 विधानसभा सीटें जीती थीं।
मोदी ने सभी ऐतिहासिक मान्यताओं को ध्वस्त कर दिया है। उन्होंने पहले लोकसभा में जीत प्राप्त की और बाद में विधानसभा में भी जीत प्राप्त की। कैसे? अनेक कारणों में से सपा और बसपा के पतन ने सहायता की ! और यह विरोधियों द्वारा फैलाई गई सभी नकारात्मकताओं - कोई मुख्यमंत्री चेहरा नहीं, भाजपा के असंतुष्ट, भाजपा द्वारा दल-बदलुओं को टिकट दिए गए, इत्यादि - के बावजूद संभव हुआ। मोदी की ऊर्जा और उनके करिश्मे के समक्ष इनमें से किसी भी बात का असर नहीं हुआ। स्पष्ट रूप से किसी भी बात का। जो कुछ राहुल गाँधी ने कहा, वास्तव में वही हुआ, हालांकि कांग्रेस के लिए यह एक भयानक दुःस्वप्न था। इन चुनावों में सभी दूर मोदी और केवल मोदी ही छाए रहे, और वे भाजपा को अविस्मरनीय विजय दिला गए। अपनी यात्राओं के दौरान पत्रकारों ने पाया कि लोगों ने मोदी कि हर बात पर आँख मूँद कर विश्वास किया - मन की बात में कहे गए उनके शब्द, उनके भाषणों के दौरान कहे गए शब्द, विदेशों में उनके द्वारा कहे गए शब्द, इत्यादि। उनका विमुद्रीकरण का फैसला आश्चर्यजनक रूप से उनके पक्ष में साबित हुआ न कि उनके विरुद्ध। इसनें गरीबों को खुशी से उछलने को मजबूर कर दिया जब उन्होंने अमीरों को कष्ट में देखा। स्वतंत्र भारत में पहली बार संभवतः उन्होंने इस खुशी का अनुभव किया। [यह गरीबी हटाओ जैसे कार्यक्रमों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है] मोदी की छवि - नेक,, साफ दिल, गरीबों का मसीहा। यह कांग्रेस, सपा, बसपा या किसी भी अन्य दल की पुनर्वितरण की राजनीति के लिए एक दुःस्वप्न के समान था। मोदी की विदेश यात्राओं को काफी अनुकूल दृष्टि से देखा जाता है कि उन्होंने विश्व में भारत का मान बढाया है। मोदी सिद्धांत के बारे में पढ़ें।
सपा और अखिलेश यादव की अति मुस्लिम भागीदारी ने अनेक लोगों को वर्षों तक कष्ट दिया था - भाजपा ने अत्यंत कुशलता से इसे अपने पक्ष में लाभ के लिए उपयोग किया। अनेक लोगों ने भाजपा द्वारा कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं खड़ा करने के लिए वास्तव में उसकी प्रशंसा की (बसपा ने इसका ठीक उल्टा किया - उसने कहीं अधिक प्रत्याशी उतारे) । मीडिया क्रमशः ध्रुवीकरण और प्रति-ध्रुवीकरण, दोनों की आलोचना कर रहा है। इस विजय में भविष्व के लिए अनेक सीखें अंतर्निहित हैं। विकास होना ही चाहिए, अन्यथा मोहभंग तीव्र हो सकता है।
मोदी ने सभी ऐतिहासिक मान्यताओं को ध्वस्त कर दिया है। उन्होंने पहले लोकसभा में जीत प्राप्त की और बाद में विधानसभा में भी जीत प्राप्त की। कैसे? अनेक कारणों में से सपा और बसपा के पतन ने सहायता की ! और यह विरोधियों द्वारा फैलाई गई सभी नकारात्मकताओं - कोई मुख्यमंत्री चेहरा नहीं, भाजपा के असंतुष्ट, भाजपा द्वारा दल-बदलुओं को टिकट दिए गए, इत्यादि - के बावजूद संभव हुआ। मोदी की ऊर्जा और उनके करिश्मे के समक्ष इनमें से किसी भी बात का असर नहीं हुआ। स्पष्ट रूप से किसी भी बात का। जो कुछ राहुल गाँधी ने कहा, वास्तव में वही हुआ, हालांकि कांग्रेस के लिए यह एक भयानक दुःस्वप्न था। इन चुनावों में सभी दूर मोदी और केवल मोदी ही छाए रहे, और वे भाजपा को अविस्मरनीय विजय दिला गए। अपनी यात्राओं के दौरान पत्रकारों ने पाया कि लोगों ने मोदी कि हर बात पर आँख मूँद कर विश्वास किया - मन की बात में कहे गए उनके शब्द, उनके भाषणों के दौरान कहे गए शब्द, विदेशों में उनके द्वारा कहे गए शब्द, इत्यादि। उनका विमुद्रीकरण का फैसला आश्चर्यजनक रूप से उनके पक्ष में साबित हुआ न कि उनके विरुद्ध। इसनें गरीबों को खुशी से उछलने को मजबूर कर दिया जब उन्होंने अमीरों को कष्ट में देखा। स्वतंत्र भारत में पहली बार संभवतः उन्होंने इस खुशी का अनुभव किया। [यह गरीबी हटाओ जैसे कार्यक्रमों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है] मोदी की छवि - नेक,, साफ दिल, गरीबों का मसीहा। यह कांग्रेस, सपा, बसपा या किसी भी अन्य दल की पुनर्वितरण की राजनीति के लिए एक दुःस्वप्न के समान था। मोदी की विदेश यात्राओं को काफी अनुकूल दृष्टि से देखा जाता है कि उन्होंने विश्व में भारत का मान बढाया है। मोदी सिद्धांत के बारे में पढ़ें।
सपा और अखिलेश यादव की अति मुस्लिम भागीदारी ने अनेक लोगों को वर्षों तक कष्ट दिया था - भाजपा ने अत्यंत कुशलता से इसे अपने पक्ष में लाभ के लिए उपयोग किया। अनेक लोगों ने भाजपा द्वारा कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं खड़ा करने के लिए वास्तव में उसकी प्रशंसा की (बसपा ने इसका ठीक उल्टा किया - उसने कहीं अधिक प्रत्याशी उतारे) । मीडिया क्रमशः ध्रुवीकरण और प्रति-ध्रुवीकरण, दोनों की आलोचना कर रहा है। इस विजय में भविष्व के लिए अनेक सीखें अंतर्निहित हैं। विकास होना ही चाहिए, अन्यथा मोहभंग तीव्र हो सकता है।
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