Starting a "Startup" with much fanfare is the easy part. Try shutting it down. Maybe a whole new breed of Startups can crack that code! | धमाके से एक स्टार्टअप को शुरू करना आसान है। उसे बंद कर के देखें। शायद इस समस्या को सुलझाने के लिए भी स्टार्टअप्स ही लगेंगे!
Shutting a startup in India – the challenges
Economic development is a continuous and ongoing process which keeps changing with the changing global economy, technology and international institutional changes. Nothing is static. All countries that wish to keep economic development going, need to keep pace with these changes. Economic reforms are a key ingredient of economic development, and need to be pursued continuously. The old must make way for the new – legally, operationally and otherwise. India has laid a great stress on economic development in the last two decades. However, the pace of reforms in the industrial laws in India has been very slow, which has resulted in hampering economic development to a great extent. Read our Bodhi Saars on Startups and Entrepreneurship.
As the working conditions have changed, the laws haven’t, resulting in complexities. The Insolvency and Bankruptcy Code, 2016 (IBC) India seeks to consolidate the existing framework by creating a single law for insolvency and bankruptcy. But there’s still a long way to go as new-age companies (cloud companies) are treated just like real world companies (brick and mortar). It is said that it is easy to obtain a divorce in India than to shut down a company. There is a lot of delay for enterprises to shut down their businesses. This leads to a lot of delay for smaller industries to exit their current enterprises and start new ones. It is imperative to make immediate amendments to these old and outdated laws. There is also an urgent need to make separate laws for the large and small ventures respectively. Similarly, labour laws in India also need an immediate change. Budget 2017-18 has made some announcements for changes in the labour laws. Big action is awaited. Some more issues : (1) Lack of experience in entrepreneurs to identify a failing venture, (2) Abrupt end of revenues leading to huge friction with vendors and employees, (3) Copying Western models in a different environment like India, (4) Ill-planned Startup-India (not taking shutting down into account) Check Bodhi Resources page for many relevant downloads.
[ ##thumbs-o-up## Share Testimonial here - make our day!] [ ##certificate## Volunteer for Bodhi Booster portal]
Amazing Courses - Online and Classroom
भारत में स्टार्टअप को बंद करना - चुनौतियां
आर्थिक विकास एक सतत और निरंतर जारी रहने वाली प्रक्रिया है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और अंतर्राष्ट्रीय संस्थागत परिवर्तनों के साथ निरंतर रूप से परिवर्तित होती रहती है। कुछ भी स्थिर नहीं है।
जो देश अपने आर्थिक विकास की प्रक्रिया को जारी रखना चाहते हैं उन्हें इन परिवर्तनों के साथ गति बनाए रखना आवश्यक है।
आर्थिक सुधार आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण घटक हैं और इनका निरंतर प्रयास किया जाना आवश्यक है। पुराने को हटाकर नए के लिए जगह बनानी होगी - विधिक, क्रियात्मक और अन्यथा।
पिछले दो दशकों के दौरान भारत ने आर्थिक विकास पर काफी बल दिया है। हालांकि भारत के औद्योगिक कानूनों में सुधारों की गति काफी धीमी रही है जिसके कारण आर्थिक विकास में काफी बाधाएं उत्पन्न हुई हैं। स्टार्टअप्स पर हमारे बोधि सार पढ़ें, यहां।
जैसे-जैसे कार्यस्थल की स्थितियां बदली हैं, कानून नहीं बदल पाए हैं, और इससे जटिलताएं बढ़ी हैं। भारतीय शोध-अक्षमता और दिवालियापन कानून २०१६ के तहत मौजूद ढांचे को समेकित कर एक कानून बनाने का प्रयास किया गया. किन्तु अभी भी न्यू-एज कंपनियों के लिए कठिनाइयां हैं चूंकि उन्हें ठीक ब्रिक-एंड-मोर्टार कंपनियों जैसा ही माना जाता है। ऐसा कहा जाता है की भारत में विवाह विच्छेद प्राप्त करना उद्योग से निगम करने की तुलना में अधिक आसान है। भारत में उद्यमियों को उनके व्यवसाय बंद करना काफी कठिन हो जाता है, और इस संपूर्ण प्रक्रिया में काफी विलंब भी होता है। इसके कारण छोटे उद्यमों को उनके विद्यमान उद्यम बंद करके नए उद्यम शुरू करना काफी कठिन हो जाता है। इन पुराने कानूनों में तुरंत संशोधन करना अत्यावश्यक है। साथ ही आवश्यकता इस बात की भी है कि बड़े और छोटे उद्यमों के लिए स्वतंत्र कानूनों का निर्माण किया जाए। उसी प्रकार, भारत के श्रम कानूनों में भी तुरंत सुधार और संशोधन की आवश्यकता है। वर्ष 2017-18 के बजट में श्रम कानून में सुधार के संबंध में कुछ घोषणाएँ की गई हैं। किंतु बड़ी कार्यवाही अपेक्षित है। कुछ और मुद्दे - (1) एक उद्यम विफल हो रहा है, ये पहचानने में उद्यमी की विफलता, (2) किसी उद्यम की अचानक से हुई मौत, जिससे वेंडरों और कर्मचारियों से होते संघर्ष, (3) पश्चिमी मॉडल को बिलकुल ही अलग भारतीय परिवेश में कॉपी करना, (4) स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम में कमियां (स्टार्टअप बंद करने पर कोई सोच नहीं) बोधि संसाधन पृष्ठ पर अनेकों संसाधन आपको मिलेंगे
जैसे-जैसे कार्यस्थल की स्थितियां बदली हैं, कानून नहीं बदल पाए हैं, और इससे जटिलताएं बढ़ी हैं। भारतीय शोध-अक्षमता और दिवालियापन कानून २०१६ के तहत मौजूद ढांचे को समेकित कर एक कानून बनाने का प्रयास किया गया. किन्तु अभी भी न्यू-एज कंपनियों के लिए कठिनाइयां हैं चूंकि उन्हें ठीक ब्रिक-एंड-मोर्टार कंपनियों जैसा ही माना जाता है। ऐसा कहा जाता है की भारत में विवाह विच्छेद प्राप्त करना उद्योग से निगम करने की तुलना में अधिक आसान है। भारत में उद्यमियों को उनके व्यवसाय बंद करना काफी कठिन हो जाता है, और इस संपूर्ण प्रक्रिया में काफी विलंब भी होता है। इसके कारण छोटे उद्यमों को उनके विद्यमान उद्यम बंद करके नए उद्यम शुरू करना काफी कठिन हो जाता है। इन पुराने कानूनों में तुरंत संशोधन करना अत्यावश्यक है। साथ ही आवश्यकता इस बात की भी है कि बड़े और छोटे उद्यमों के लिए स्वतंत्र कानूनों का निर्माण किया जाए। उसी प्रकार, भारत के श्रम कानूनों में भी तुरंत सुधार और संशोधन की आवश्यकता है। वर्ष 2017-18 के बजट में श्रम कानून में सुधार के संबंध में कुछ घोषणाएँ की गई हैं। किंतु बड़ी कार्यवाही अपेक्षित है। कुछ और मुद्दे - (1) एक उद्यम विफल हो रहा है, ये पहचानने में उद्यमी की विफलता, (2) किसी उद्यम की अचानक से हुई मौत, जिससे वेंडरों और कर्मचारियों से होते संघर्ष, (3) पश्चिमी मॉडल को बिलकुल ही अलग भारतीय परिवेश में कॉपी करना, (4) स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम में कमियां (स्टार्टअप बंद करने पर कोई सोच नहीं) बोधि संसाधन पृष्ठ पर अनेकों संसाधन आपको मिलेंगे
[Newsletter ##newspaper-o##] [Bodhi Shiksha channel ##play-circle-o##] [FB ##facebook##] [हिंदी बोधि ##leaf##] [Sameeksha live ##graduation-cap##] [Shrutis ##fa-headphones##] [Quizzes ##question-circle##] [Bodhi Revision ##book##]
COMMENTS