Social entrepreneurship and positive government support can jumpstart investments in sectors with large business potential starved of capital today. | सामाजिक उद्यमिता और सकारात्मक सरकारी सहयोग उन क्षेत्रों में निवेश बढ़ा सकता है जहाँ सम्भावनाएं बहुत हैं किन्तु पूँजी बेहद कम।
Why investments remain low in many sectors
If India has to make its mark as a global economic power, and provide public services to its people, we need (a) a vibrant economy and (b) well-distributed growth. Short term driver of growth : Higher production and consumption driven by increased incomes. Medium/Long term driver sof growth : More rapid innovations and faster technology development wto retain our competitiveness and improve service delivery. Our technology and structural development in the last few years has failed to encourage innovators. We can create more and better opportunities for our young population by promoting and encouraging entrepreneurship. The Atal Innovation mission (AIM) is mandated to strengthen entrepreneurship and innovation climate in India. Trends that have democratized innovations and inspired first-generation entrepreneurship are (1) Making the growth capital seamless and (2) Access to distribution channels from large companies and family businesses to startups.
However, private sector will not make heavy investments in sectors which are of social importance, like health, agriculture, affordable housing, sanitation etc. for obvious reasons of low returns or societal or regulatory barriers. Despite these sectors witnessing huge technological development, private sector investment in these sectors has not matched their business potential and social importance. Read our Bodhi Saars on Startups and Entrepreneurship. Governments have shown more and more interest in innovations as a means of economic development and job creation. The rise of low-cost entrepreneurship has closely tracked the growth of internet, which has widely changed human behaviour like shopping, social connection, travel etc. Startups led to this global change. The next phase of entrepreneurship is expected to be in the field of public services delivery and infrastructure. Presently, startups in India are taking care of challenges like clean water, rural electrification etc, and filling gaps left by the state. This could be called social entrepreneurship. The growth of social entrepreneurship could be enhanced by funds that invest in welfare businesses.
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अनेक क्षेत्रों में निवेश कम क्यों?
यदि भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में अपना स्थान बनाना है, और अपनी जनसंख्या को सार्वजनिक सेवाएँ प्रदान करना है तो हमें चाहिए (ए) एक जीवंत अर्थव्यवस्था और (बी) व्यवस्थित रूप से वितरित वृद्धि।
उच्च उत्पादन और उच्च आय से उत्प्रेरित उपभोग अल्पकाल में आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण उत्प्रेरक हैं। परंतु मध्य और दीर्घकाल में अधिक तीव्र गति के नवप्रवर्तन और तेज प्रौद्योगिकी विकास हमारी स्पर्धात्मकता बनाए रखने और सेवा विर्तन में सुधार के लिए आवश्यक हैं।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान हमारा प्रौद्योगिकी और संरचनात्मक विकास नव्प्रवार्तकों को प्रोत्साहित करने में विफल रहा है। उद्यमिता को प्रोत्साहित करके हम हमारी विशाल युवा जनसंख्या के लिए अधिक और बेहतर अवसरों का निर्माण कर सकते हैं। अटल नवप्रवर्तन मिशन के लिए भारत में उद्यमिता को सशक्त बनाने और नवप्रवर्तन के वातावरण को प्रोत्साहित करने की अनिवार्यता की गई है।
जिन प्रवृत्तियों ने नवप्रवर्तनों का लोकतांत्रीकरण किया है और पहली पीढ़ी के उद्यमियों को प्रोत्साहित किया है वे है (1) वृद्धि पूँजी को निर्बाध बनाना और (2) बड़ी कंपनियों और पारिवारिक उद्योगों से वितरण चैनल्स की पहुँच स्टार्टअप्स की ओर करना।
हालांकि निजी क्षेत्र ऐसे क्षेत्रों में अधिक निवेश नहीं करेगा जो सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, जैसे स्वास्थ्य, कृषि, सस्ते आवास, स्वच्छता इत्यादि। इसके स्पष्ट कारण है की इनमें प्रतिफल अपेक्षाकृत कम है और इनमें अनेक सामाजिक या विनियमन संबंधी बाधाएं हैं। स्टार्टअप्स पर हमारे बोधि सार पढ़ें, यहां। इन क्षेत्रों में भारी प्रौद्योगिकी विकास हुए हैं फिर भी इन क्षेत्रों में निजी निवेश इनकी व्यवसायिक संभावना और सामाजिक महत्त्व की तुलना में काफी कम है। सरकारों ने आर्थिक विकास और रोजगार निर्माण के साधन के रूप में नवाचारों में काफी रूचि दिखाई है। अल्प-लागत उद्यमिता में वृद्धि ने इंटरनेट की वृद्धि का काफी हद तक योगदान है जिसने खरीदारी, सामाजिक जुड़ाव, यात्रा इत्यादि जैसे मानव व्यवहार में व्यापक परिवर्तन किया है। स्टार्टअप्स ने इन परिवर्तनों को संभव बनाया है। उद्यमिता का अगला चरण सार्वजनिक सेवाओं के वितरण और अधोसंरचना के क्षेत्र में होने की संभावना है। वर्तमान में, भारत के स्टार्टअप स्वच्छ जल, ग्रामीण विद्युतीकरण इत्यादि जैसी चुनौतियों को संभाल रहे हैं और वे उस अंतर को पाटने का प्रयास कर रहे हैं जो राज्य द्वारा छोड़ा गया है। इसे सामाजिक उद्यमिता कहा जा सकता है। सामाजिक उद्यमों की वृद्धि ऐसे कोषों द्वारा बढाई जा सकती है जो कल्याणकारी व्यापारों में निवेश करते हैं।
हालांकि निजी क्षेत्र ऐसे क्षेत्रों में अधिक निवेश नहीं करेगा जो सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, जैसे स्वास्थ्य, कृषि, सस्ते आवास, स्वच्छता इत्यादि। इसके स्पष्ट कारण है की इनमें प्रतिफल अपेक्षाकृत कम है और इनमें अनेक सामाजिक या विनियमन संबंधी बाधाएं हैं। स्टार्टअप्स पर हमारे बोधि सार पढ़ें, यहां। इन क्षेत्रों में भारी प्रौद्योगिकी विकास हुए हैं फिर भी इन क्षेत्रों में निजी निवेश इनकी व्यवसायिक संभावना और सामाजिक महत्त्व की तुलना में काफी कम है। सरकारों ने आर्थिक विकास और रोजगार निर्माण के साधन के रूप में नवाचारों में काफी रूचि दिखाई है। अल्प-लागत उद्यमिता में वृद्धि ने इंटरनेट की वृद्धि का काफी हद तक योगदान है जिसने खरीदारी, सामाजिक जुड़ाव, यात्रा इत्यादि जैसे मानव व्यवहार में व्यापक परिवर्तन किया है। स्टार्टअप्स ने इन परिवर्तनों को संभव बनाया है। उद्यमिता का अगला चरण सार्वजनिक सेवाओं के वितरण और अधोसंरचना के क्षेत्र में होने की संभावना है। वर्तमान में, भारत के स्टार्टअप स्वच्छ जल, ग्रामीण विद्युतीकरण इत्यादि जैसी चुनौतियों को संभाल रहे हैं और वे उस अंतर को पाटने का प्रयास कर रहे हैं जो राज्य द्वारा छोड़ा गया है। इसे सामाजिक उद्यमिता कहा जा सकता है। सामाजिक उद्यमों की वृद्धि ऐसे कोषों द्वारा बढाई जा सकती है जो कल्याणकारी व्यापारों में निवेश करते हैं।
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