Our body is a wonderful and mysterious machine, connected in many less known ways internally.
From stomach to intellect – a miraculous journey
The ancient sages and seers had discovered the connection between body, mind and soul in most profound but simple ways. Our modern material lives may find it tough to believe. The physical food we eat passes through the system, and churns it thoroughly. It is then excreted, and there are complex bacterial connections throughout. The gastrointestinal tract (GI tract or Gut) (mouth, oesophagus, stomach, and intestines) is the organ system which handles eating, digesting, absorbing energy and nutrients, and expelling waste. This tract has thousands of bacteria types that make up the “Gut Flora”. The body has its own communication channels – the brain receives information from the heart, stomach, gut (the intestinal system etc.) and other parts through a long nerve called the Vagus Nerve.
We all know about the “happiness hormone” – Serotonin. It is largely found in the gut. So our emotional well-being is connected to the gut deeply! [Is that why we love fast food? Ha ha!] Some other scientific proofs – (1) Bateria-free gut in early childhood leads to more balanced adulthood, (2) Parkinson’s disease (death of neurons in brain) may have its origins in the gut and not brain, (3) Deep sleep is related to a clean gut. The ancients developed methods to utilise these truths. (a) Ayurveda has the colon-cleaning process (including enema), (b) Hatha Yoga that exercise the gut thoroughly, (c) Mayur Asana where body is balanced on navel stimulating the Vagus nerve, (d) Patanjali Yoga treating the gut as the centre of the body-universe etc. Other miraculous facts – (1) Some people get ESP (extra sensory perception) powers after colon-cleansing!, (2) Deep sleep removes toxins from the body (Mahatma Gandhi would approve of it - check "A guide to health" on Historical Figures tab in Bodhi Resources page). It may be time for us to rediscover these simple yet effective ways of leading a healthy life.
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पाचन प्रणाली से मस्तिष्क तक - एक अद्भुत यात्रा
प्राचीन ऋषि मुनियों ने शरीर, मन और आत्मा के बीच के संबंध की अत्यंत गहन परंतु आसान तरीके से खोज की थी. हमारे आधुनिक भौतिक शरीर के लिए इसपर विश्वास करना कठिन है।
हम जो भौतिक अन्न ग्रहण करते हैं वह संपूर्ण प्रणाली में से होकर गुजरता है और उसका व्यवस्थित रूप से मंथन हो जाता है। बाद में वह उत्सर्जित हो जाता है और इस संपूर्ण प्रक्रिया के दौरान अनेक जटिल जीवाणु संबंध होते हैं। जठरांत्र तंत्र (मुख, ग्रासनली, अमाशय, और आंतें) वह अंग प्रणाली है जो भोजन, पाचन, ऊर्जा और पोषकों के अवशोषण और अपशिष्ट के उत्सर्जन का कार्य करती है। इस तंत्र में हजारों की संख्या में बॅक्टेरिया के प्रकार होते हैं जो ’’आंत वनस्पति’’ (Gut Flora) का निर्माण करतें हैं।
शरीर के अपने संचार चैनल्स होते हैं - मस्तिष्क को ह्दय, अमाशय, आंत, और अन्य भागों से वेगस तंत्रिका नामक एक लंबी तंत्रिका से सूचनाएं प्राप्त होती हैं।
हम सभी ’’खुशी हॉर्मोन’’ - सेरोटोनिन के बारे में जानते हैं। यह आमतौर पर आंत में पाया जाता है। अतः हमारा भावनात्मक स्वास्थ्य आंत के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है! (क्या यही कारण है कि हमें फास्ट फूड पसंद है?)
कुछ अन्य वैज्ञानिक साक्ष्य - (1) बाल्यावस्था में यदि आंत बैक्टीरिया मुक्त हो तो इसका परिणाम एक अधिक संतुलित वयस्क अवस्था में होता है, (2) पार्किंसंस रोग (मस्तिष्क में न्यूरॉन्स की मृत्यु) का उद्गम मस्तिष्क में न होकर आंत में हो सकता है, (3) गहरी नींद का संबंध स्वच्छ आंत के साथ होता है।
प्राचीन लोगों ने इन सच्चाइयों के उपयोग के तरीके विकसित कर लिए थे। (ए) आयुर्वेद में बृहदान्त्र स्वच्छता प्रक्रिया है (जिसमें एनिमा भी शामिल है), (बी) हठ योग जो आंत का व्यवस्थित व्यायाम करता है, (सी) मयूरासन जिसमें शरीर को नाभि पर संतुलित किया जाता है जो वेगस तंत्रिका को उत्तेजित करता है, (डी) पतंजलि योग आंत को शरीर-ब्रह्मांड का केंद्र मानता है इत्यादि।
अन्य चमत्कारी तथ्य - (1) कुछ लोगों को बृहदान्त्र स्वच्छता के बाद ईएसपी (अतिरिक्त संवेदी धारणा) शक्ति प्राप्त होती है!, (2) गहरी नींद शरीर से विषों को बाहर कर देती है (महात्मा गाँधी इससे सहमत होते - आप "स्वास्थ्य पर गाइड" नामक पीडीएफ बोधि संसाधन पृष्ठ से डाउनलोड करें)
स्वस्थ जीवन जीने के लिए संभवतः अब हमारे लिए इन साधारण परंतु फिर भी अत्यंत प्रभावी तरीकों को एक बार फिर से खोजने का समय आ गया है।
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