Despite constant provocation, India's nuclear non-proliferation record is spotless. India remains a beacon of hope in responsible use of nuclear energy | लगातार मुश्किलों का सामना करने के बावज़ूद भी, भारत का परमाणु अप्रसार रिकॉर्ड बेदाग़ है। भारत परमाणु ऊर्जा के सही इस्तेमाल हेतु आशा की किरण है
Nuclear India, Peaceful intentions
For many decades now, India has remained a role model of peaceful use of nuclear energy, and non-proliferation of nuclear weapons technology despite constant provocations from two neighbours. Demands for reassessing India’s nuclear doctrine are raised regularly. But India is already committed to a “No First Use” or its intention to retaliate massively to any nuclear first strike by an enemy. But there is another aspect of it.
India reserves the right to nuclear retaliation in the event of a major attack against India or Indian forces anywhere, by biological or chemical weapons. Download SIPRI factsheet from Bodhi Resources page. We tend to club together nuclear first use and biological and chemical first use. The former has not occurred since 1945, and the latter, especially chemical, continues, whether by state or non-state actors. A recent example : the recent assassination of North Korean Kim Jong-nam in Malaysia by the chemical agent VX Although, chemical weapons are banned, they are frequently being used in Syria and Iraq, where their use is attributed to the Islamic State (IS).
The 1992 Chemical Weapons Convention has only partly made their use utterly responsible. There is a fairly strong norm governing non-use of nuclear weapons, whereas the norm against the use of chemical weapons is still not so strong. The Syria chemical weapons situation : Bashar al-Assad used the nerve agent sarin against civilians in the Damascus suburb of Ghouta in August 2013, killing over 1400 people. Though, President Obama invoked a ‘red line’ about the movement of chemical weapons in the region, eventually stepped back from a military response to that attack. A diplomatic solution was eventually found with the help of Russian President Putin, and Syria agreed to dismantle 1300 tonnes of chemical agents and acceded to the Chemical Weapons Convention.
Can India resist popular pressure for decisive retaliation if Indians suffered such a chemical attack is the main question? Nuclear weapons, at best, deter other nuclear weapons. These weapons are a political force, as limited number of states possesses them and they can cause immense generational and environmental consequences. In the words of late K Subrahmanyam, nukes are like “the million pound note” that is not to be squandered lightly. That is the reason why the No First Use policy works well. It builds stability into deterrence by promising retaliation in the event of extreme provocation. That also explains China’s anger at deployment of US THAAD in South Korea. Read a Bodhi on India’s defence preparedness, here. Read some Bodhi Saars on Nuclear weapons related issues, here
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परमाणु सुसज्जत भारत, शांतिपूर्ण उद्देश्य
भारत के दो पडोसी देशों द्वारा लगातार उकसाने के बावजूद पिछले अनेक दशकों से भारत परमाणु ऊर्जा के उपयोग और परमाणु अस्त्र प्रौद्योगिकी के निरस्त्रीकरण का आदर्श रहा है।
भारत के परमाणु सिद्धांत की पुनः समीक्षा की मांगें लगातार उठाई जाती हैं। परंतु भारत पहले से ही “प्रथम उपयोग नहीं” या शत्रु द्वारा किये गए प्रथम परमाणु हमले के जवाब में भारी प्रतिशोध के उद्देश्य के सिद्धांत के प्रति समर्पित है।
परंतु इसका एक अन्य पहलू भी है।
भारत या भारतीय सेनाओं के विरुद्ध कहीं भी किये गए रासायनिक या जैविक हथियारों के प्रमुख हमले के विरुद्ध जवाबी परमाणु हमला करने के अपने अधिकार को भारत ने सुरक्षित रखा है। बोधि संसाधन पृष्ठ से तथ्य शीट डाउनलोड करें। हमारी प्रवृत्ति परमाणु हथियारों के पहले उपयोग और रासायनिक और जैविक हथियारों के पहले उपयोग को एकत्रित करने की रही है। इनमें से पहला वर्ष 1945 के बाद कभी नहीं हुआ है, जबकि दूसरा, विशेष रूप से रासायनिक, राज्य प्रायोजित या गैर-राज्य प्रायोजित लगातार जारी है। हाल का एक उदाहरण : रासायनिक एजेंट वीएक्स द्वारा मलेशिया में की गई उत्तर कोरिया के किम जोंग-नाम की हाल की हत्या। हालांकि रासायनिक हथियार प्रतिबंधित हैं परंतु फिर भी सीरिया और इराक में उनका व्यापक उपयोग किया जाता है, जहाँ उनके उपयोग का संबंध इस्लामिक स्टेट (आइएस) से जोड़ा जाता है।
वर्ष 1992 के रासायनिक हथियार सम्मेलन ने उनके उपयोग को आंशिक रूप से ही अत्यंत जवाबदार बनाया है। परमाणु हथियारों के उपयोग नहीं करने के मानदंड काफी हद तक कड़े हैं, अज्ब्की रासायनिक हथियारों का उपयोग नहीं करने के मानदंड अभी भी उतने कड़े नहीं हैं। सीरिया की रासायनिक हथियारों की स्थिति : अगस्त 2013 में बशर अल-असद ने नस एजेंट सरीन का उपयोग नागरिकों के विरुद्ध घौटा के दमिश्क उपनगर में किया था, जिसमें 1400 से अधिक लोग मारे गए थे। हालांकि राष्ट्रपति ओबामा ने क्षेत्र में रासायनिक हथियारों के परिवहन के संबंध में ‘लाल रेखा’ जारी की थी परंतु अंततः वे इस हमले के विरुद्ध सैन्य कार्यवाही से पीछे हट गए थे। अंततः राष्ट्रपति पुतिन की सहायता से इसका एक कूटनीतिक हल निकाला गया, जिसके तहत सीरिया ने 1300 टन रासायनिक एजेंट्स को नष्ट करने की स्वीकृति दी और वह रासायनिक हथियार सम्मेलन में भी शामिल हुआ।
यदि भारत पर इस प्रकार का रासायनिक हमला होता है तो क्या भारत लोकप्रिय भावना के दबाव को टाल पाएगा, यह महत्वपूर्ण प्रश्न है? परमाणु हथियार अधिक से अधिक अन्य परमाणु हथियारों को रोक सकते हैं। ये हथियार राजनीतिक बल होते हैं क्योंकि इअसे देशों की संख्या कम है जिनके पास ये हथियार हैं, और इनके अत्यंत भयानक पीढ़ीगत और पर्यावरणीय परिणाम हो सकते हैं। स्वर्गीय के सुब्रमण्यम के शब्दों में “परमाणु हथियार “दस लाख पौंड के नोट” के समान होते हैं जिसका हलके में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यही कारण है कि पहले उपयोग नहीं की नीति अच्छी तरह से चल पा रही है। यह अवरोध में स्थिरता निर्मित करती है जो केवल चरम उत्तेजना पर ही प्रतिशोध की कार्यवाही को सुनिश्चित करती है। इसी से अमेरिका द्वारा दक्षिण कोरिया में थाड की तैनाती पर चीन की नाराजी स्पष्ट होती है। भारत की रक्षा तैयारी पर एक बोधि पढ़ें, यहां और परमाणु हथियारों के मुद्दों से संबंधित कुछ बोधि सार पढ़ें, यहां।
भारत या भारतीय सेनाओं के विरुद्ध कहीं भी किये गए रासायनिक या जैविक हथियारों के प्रमुख हमले के विरुद्ध जवाबी परमाणु हमला करने के अपने अधिकार को भारत ने सुरक्षित रखा है। बोधि संसाधन पृष्ठ से तथ्य शीट डाउनलोड करें। हमारी प्रवृत्ति परमाणु हथियारों के पहले उपयोग और रासायनिक और जैविक हथियारों के पहले उपयोग को एकत्रित करने की रही है। इनमें से पहला वर्ष 1945 के बाद कभी नहीं हुआ है, जबकि दूसरा, विशेष रूप से रासायनिक, राज्य प्रायोजित या गैर-राज्य प्रायोजित लगातार जारी है। हाल का एक उदाहरण : रासायनिक एजेंट वीएक्स द्वारा मलेशिया में की गई उत्तर कोरिया के किम जोंग-नाम की हाल की हत्या। हालांकि रासायनिक हथियार प्रतिबंधित हैं परंतु फिर भी सीरिया और इराक में उनका व्यापक उपयोग किया जाता है, जहाँ उनके उपयोग का संबंध इस्लामिक स्टेट (आइएस) से जोड़ा जाता है।
वर्ष 1992 के रासायनिक हथियार सम्मेलन ने उनके उपयोग को आंशिक रूप से ही अत्यंत जवाबदार बनाया है। परमाणु हथियारों के उपयोग नहीं करने के मानदंड काफी हद तक कड़े हैं, अज्ब्की रासायनिक हथियारों का उपयोग नहीं करने के मानदंड अभी भी उतने कड़े नहीं हैं। सीरिया की रासायनिक हथियारों की स्थिति : अगस्त 2013 में बशर अल-असद ने नस एजेंट सरीन का उपयोग नागरिकों के विरुद्ध घौटा के दमिश्क उपनगर में किया था, जिसमें 1400 से अधिक लोग मारे गए थे। हालांकि राष्ट्रपति ओबामा ने क्षेत्र में रासायनिक हथियारों के परिवहन के संबंध में ‘लाल रेखा’ जारी की थी परंतु अंततः वे इस हमले के विरुद्ध सैन्य कार्यवाही से पीछे हट गए थे। अंततः राष्ट्रपति पुतिन की सहायता से इसका एक कूटनीतिक हल निकाला गया, जिसके तहत सीरिया ने 1300 टन रासायनिक एजेंट्स को नष्ट करने की स्वीकृति दी और वह रासायनिक हथियार सम्मेलन में भी शामिल हुआ।
यदि भारत पर इस प्रकार का रासायनिक हमला होता है तो क्या भारत लोकप्रिय भावना के दबाव को टाल पाएगा, यह महत्वपूर्ण प्रश्न है? परमाणु हथियार अधिक से अधिक अन्य परमाणु हथियारों को रोक सकते हैं। ये हथियार राजनीतिक बल होते हैं क्योंकि इअसे देशों की संख्या कम है जिनके पास ये हथियार हैं, और इनके अत्यंत भयानक पीढ़ीगत और पर्यावरणीय परिणाम हो सकते हैं। स्वर्गीय के सुब्रमण्यम के शब्दों में “परमाणु हथियार “दस लाख पौंड के नोट” के समान होते हैं जिसका हलके में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यही कारण है कि पहले उपयोग नहीं की नीति अच्छी तरह से चल पा रही है। यह अवरोध में स्थिरता निर्मित करती है जो केवल चरम उत्तेजना पर ही प्रतिशोध की कार्यवाही को सुनिश्चित करती है। इसी से अमेरिका द्वारा दक्षिण कोरिया में थाड की तैनाती पर चीन की नाराजी स्पष्ट होती है। भारत की रक्षा तैयारी पर एक बोधि पढ़ें, यहां और परमाणु हथियारों के मुद्दों से संबंधित कुछ बोधि सार पढ़ें, यहां।
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