The National Health Policy 2017 is an ambitious public policy document. If only the implementation can match the document's positive energy! | राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति २०१७ एक महत्वकांक्षी सार्वजनिक नीति दस्तावेज है। अब बस, क्रियान्वयन में भी वही ऊर्जा दिखे जो इसके पन्नों में दिख रही है!
India’s National Health Policy 2017
Healthcare has remained a neglected sector for far too long, resulting in India’s poor showing in UNDP’s Human Development Index (HDI). Being a state subject, there has been a lack of coordination between the Center and the states. The citizens have paid the price. The government has released the new National Health Policy (NHP) 2017, which presents a clear vision to galvanize the system to deliver health and well-being to all by 2030 and meet India’s commitment on Sustainable Development Goal on health. Download the NHP 2017, Situation Analysis NHP 2017, and UNDP HDR 2016 reports from Bodhi Resources page.
The policy lays the path for Universal Health Coverage (UHC). The effective implementation of various measures require bringing consensus and close coordination between the Centre and the states. The main features of the policy are: (1) A strong public health approach and strengthening public sector, (2) to draw upon the diverse systems of medicine [Ayurveda, Yoga, Unani, Siddha and Homoeopathy (AYUSH)], (3) Increasing public financing for health to 2.5% of GDP by 2025 and promise to double the public financing over next 8 years, (4) enhanced priority to primary health care for two-thirds or more of all public funding, and making them available anywhere in the country through health card, (5) providing free drugs, diagnostic and emergency services in all public hospitals, (6) speeding up National Urban Health Mission (NUHM) and reaching out to the urban poor, (7) Secondary and tertiary health care to be provided through strengthened public services. The policy also provides for a ‘capitation’ fee model – of fixed annual payment for full health care for primary care, and a ‘fee for service’ system for secondary and tertiary care. Upgradation of district hospitals to provide some elements of secondary and tertiary care, and upgradation of sub-district hospitals is also proposed. To develop evidence-based standard management guidelines, setting up of a National Healthcare Standards Organization is proposed.
The policy also envisages establishment of a National Health Information Network by 2025, and a National Digital Health Authority to deploy and regulate digital health. To overcome the shortage of skilled human resources in the sector, expanded institutional capacity and new courses are proposed in NHP. These include upgrading BSc in Community Health and MD in Family Medicine. A variety of specialized nursing and paramedical courses are also proposed. Accredited Social Health Activists (ASHAs) can become auxiliary nurses. Various disease control measures to address the challenges of diseases like HIV, TB co-infection and trauma are also proposed in the new policy. High priority has been accorded to indoor and outdoor air pollution control with water, sanitation and nutrition. The main challenges before the government would be making states to spend 8% of their budgets on health, teaming efficiently with states, the speed of strengthening public sector and effectively partnering private sector.
You can download the policy documents here and here.
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भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017
भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र लंबे समय से दुर्लक्षित रहा है, जिसका परिणाम मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में भारत के लगातार कमजोर प्रदर्शन के रूप में हुआ है। चूंकि स्वास्थ्य राज्य सूची का विषय है अतः इस विषय पर केंद्र और राज्यों के बीच उचित समन्वय का अभाव रहा है। इसकी भारी कीमत देश के नागरिकों को चुकानी पड़ी है।
सरकार ने नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) 2017 जारी की है, जिसमें वर्ष 2030 तक सभी के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से व्यवस्था को प्रेरित करने और स्वास्थ्य पर धारणीय विकास लक्ष्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने के लिए एक स्पष्ट दूरदृष्टि प्रदर्शित होती है।
एनएचपी 2017, एनएचपी 2017 का स्थिति विश्लेषण और यूएनडीपी एचडीआर 2016 रिपोर्ट्स बोधि संस्थान पृष्ठ से यहाँ डाउनलोड करें।
यह नीति सर्वजनीन स्वास्थ्य आवरण (यूएचसी) के मार्ग का आधार बनाती है। केंद्र और राज्यों के बीच निकट समन्वय और सर्वसहमति प्राप्त करने के लिए विभिन्न उपायों का प्रभावी क्रियान्वयन आवश्यक है। नीति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नानुसार हैं : (1) एक मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण और सार्वजनिक क्षेत्र का सशक्तिकरण, (2) चिकित्सा की विविध प्रणालियों ख्आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, और होमियोपैथी (आयुष) का समावेश, (3) वर्ष 2025 तक स्वास्थ्य के लिए सार्वजनिक वित्तीयन को जीडीपी के 2.5 प्रतिशत के स्तर पर लाना, और अगले 8 वर्षों में सार्वजनिक वित्तीयन को दुगना करने का आश्वासन, (4) संपूर्ण सार्वजनिक निधीयन के दो-तिहाई या उससे अधिक के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को अधिक प्राथमिकता प्रदान करना और उन्हें स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से देश में कहीं भी उपलब्ध कराना, (5) अभी सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क औषधियां, नैदानिक जांच सेवाएँ और आकस्मिक सेवाएँ उपलब्ध कराना, (6) राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) की गति बढ़ाना और उसके माध्यम से शहरी गरीबों तक पहुँच बनाना, (7) सशक्त की गई सार्वजनिक सेवाओं के माध्यम से द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करना। नई नीति में “प्रति व्यक्ति” शुल्क मॉडल - निर्धारित वार्षिक शुल्क के भुगतान पर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के लिए संपूर्ण स्वास्थ्य सेवा का प्रावधान किया गया है, साथ ही द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवा के लिए ‘सेवा के लिए शुल्क’ का भी प्रावधान है। द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं के कुछ तत्व प्रदान करने के लिए जिला अस्पतालों का उन्नयन करना, साथ ही उप-जिला अस्पतालों के उन्नयन का प्रस्ताव भी नई नीति में शामिल किया गया है। साक्ष्य-आधारित मानक प्रबंधन दिशा-निर्देश विकसित करने के लिए नई नीति में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा मानक संगठन के गठन का भी प्रस्ताव है।
साथ ही यह नीति वर्ष 2025 तक एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य सूचना संजाल की स्थापना को भी परिकल्पित करती है, और डिजिटल स्वास्थ्य की तैनाती और उसके विनियमन के लिए राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य प्राधिकरण की स्थापना को भी परिकल्पित करती है। इस क्षेत्र में कुशल मानव संसाधनों की कमी को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में विस्तारित संस्थागत क्षमता और नए पाठ्यक्रम भी प्रस्तावित हैं। इसमें सामुदायिक स्वास्थ्य में बीएससी और पारिवारिक चिकित्सा में एमडी का उन्नयन भी शामिल है। विविध विशेषज्ञता प्राप्त नर्सिंग और पराचिकित्सीय पाठ्यक्रम भी प्रस्तावित हैं। मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) सहायक नर्स बन सकती हैं। एचआईवी, क्षय रोग सह-संक्रमण और मानसिक आघात जैसे रोगों की चुनौतियों को संबोधित करने के लिए विभिन्न रोग नियंत्रण उपाय भी नई स्वास्थ्य नीति में प्रस्तावित हैं। जल, स्वच्छता और पोषण के साथ आतंरिक और बाह्य प्रदूषण नियंत्रण को नीति में उच्च प्राथमिकता प्रदान की गई है। सरकार के समक्ष जो मुख्य चुनौतियाँ होंगी उनमें राज्यों को उनके बजट का 8 प्रतिशत स्वास्थ्य पर व्यय करने के लिए राजी करना, राज्यों के साथ कुशलता से टीम का निर्माण करना सार्वजनिक क्षेत्र के सशक्तिकरण को गति प्रदान करना और निजी क्षेत्र की कुशल भागीदारी जैसी चुनौतियाँ शामिल हैं।
इस नीति से सम्बंधित आधिकारिक दस्तावेज (अंग्रेजी) यहाँ और यहाँ डाउनलोड करें
यह नीति सर्वजनीन स्वास्थ्य आवरण (यूएचसी) के मार्ग का आधार बनाती है। केंद्र और राज्यों के बीच निकट समन्वय और सर्वसहमति प्राप्त करने के लिए विभिन्न उपायों का प्रभावी क्रियान्वयन आवश्यक है। नीति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नानुसार हैं : (1) एक मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण और सार्वजनिक क्षेत्र का सशक्तिकरण, (2) चिकित्सा की विविध प्रणालियों ख्आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, और होमियोपैथी (आयुष) का समावेश, (3) वर्ष 2025 तक स्वास्थ्य के लिए सार्वजनिक वित्तीयन को जीडीपी के 2.5 प्रतिशत के स्तर पर लाना, और अगले 8 वर्षों में सार्वजनिक वित्तीयन को दुगना करने का आश्वासन, (4) संपूर्ण सार्वजनिक निधीयन के दो-तिहाई या उससे अधिक के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को अधिक प्राथमिकता प्रदान करना और उन्हें स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से देश में कहीं भी उपलब्ध कराना, (5) अभी सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क औषधियां, नैदानिक जांच सेवाएँ और आकस्मिक सेवाएँ उपलब्ध कराना, (6) राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) की गति बढ़ाना और उसके माध्यम से शहरी गरीबों तक पहुँच बनाना, (7) सशक्त की गई सार्वजनिक सेवाओं के माध्यम से द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करना। नई नीति में “प्रति व्यक्ति” शुल्क मॉडल - निर्धारित वार्षिक शुल्क के भुगतान पर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के लिए संपूर्ण स्वास्थ्य सेवा का प्रावधान किया गया है, साथ ही द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवा के लिए ‘सेवा के लिए शुल्क’ का भी प्रावधान है। द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं के कुछ तत्व प्रदान करने के लिए जिला अस्पतालों का उन्नयन करना, साथ ही उप-जिला अस्पतालों के उन्नयन का प्रस्ताव भी नई नीति में शामिल किया गया है। साक्ष्य-आधारित मानक प्रबंधन दिशा-निर्देश विकसित करने के लिए नई नीति में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा मानक संगठन के गठन का भी प्रस्ताव है।
साथ ही यह नीति वर्ष 2025 तक एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य सूचना संजाल की स्थापना को भी परिकल्पित करती है, और डिजिटल स्वास्थ्य की तैनाती और उसके विनियमन के लिए राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य प्राधिकरण की स्थापना को भी परिकल्पित करती है। इस क्षेत्र में कुशल मानव संसाधनों की कमी को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में विस्तारित संस्थागत क्षमता और नए पाठ्यक्रम भी प्रस्तावित हैं। इसमें सामुदायिक स्वास्थ्य में बीएससी और पारिवारिक चिकित्सा में एमडी का उन्नयन भी शामिल है। विविध विशेषज्ञता प्राप्त नर्सिंग और पराचिकित्सीय पाठ्यक्रम भी प्रस्तावित हैं। मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) सहायक नर्स बन सकती हैं। एचआईवी, क्षय रोग सह-संक्रमण और मानसिक आघात जैसे रोगों की चुनौतियों को संबोधित करने के लिए विभिन्न रोग नियंत्रण उपाय भी नई स्वास्थ्य नीति में प्रस्तावित हैं। जल, स्वच्छता और पोषण के साथ आतंरिक और बाह्य प्रदूषण नियंत्रण को नीति में उच्च प्राथमिकता प्रदान की गई है। सरकार के समक्ष जो मुख्य चुनौतियाँ होंगी उनमें राज्यों को उनके बजट का 8 प्रतिशत स्वास्थ्य पर व्यय करने के लिए राजी करना, राज्यों के साथ कुशलता से टीम का निर्माण करना सार्वजनिक क्षेत्र के सशक्तिकरण को गति प्रदान करना और निजी क्षेत्र की कुशल भागीदारी जैसी चुनौतियाँ शामिल हैं।
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