Despite good intentions, the push needed for ensuring environmental protection seems missing in recent times, in India.
Ecological conservation needs a renewed push
Environmental protection and conservation of wildlife is an important issue in the present day, which seems to have been neglected in the current Union Budget. Most environmental issues are interconnected and they cannot be considered in isolation. The budget however seems to have done exactly the same. Environment protection laws and regulations have flaws. Macro-level attention will not help. Environmental conservation needs to be consolidated with better allocations for alternative sources of energy, more stringent regulations on environmental pollution etc. The problem is not restricted only to the under-allocation for the Ministry of Environment, Forests and Climate Change (MoEFCC), but it is also about the under-utilization of the allocated funds, howsoever small, by the ministry. Read a comprehensive Bodhi on Environment, here
The under-utilization problem is more severe at the state/UT-level. The problems of disappearing wildlife, deteriorating ecological balance, increasing pollution etc need immediate attention. The economic and industrial growth strategy needs to be synchronized with environmental conservation, and it cannot be promoted at the cost of deterioration of environment. Scientific, sustained and intensive conservation measures need to be initiated for a healthier and cleaner environment. Watch video analyses on issues related to Environment and Ecology, here
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पारिस्थितिकी संरक्षण हेतु नए प्रयास आवश्यक
वर्तमान समय में पर्यावरणीय संरक्षण और वन्यजीव संरक्षण एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे वर्तमान बजट में नजरंदाज किया गया है।
अधिकांश पर्यावरणीय मुद्दे परस्पर जुड़े हुए हैं और उनका अलगाव में विचार नहीं किया जा सकता। हालांकि वर्तमान बजट में ठीक यही किया गया प्रतीत होता है।
पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कानून और विनियम त्रुटिपूर्ण हैं। अतः इनपर स्थूल-स्तरीय ध्यान फलदायी नहीं होगा, बल्कि इनका सूक्ष्म दृष्टि से विचार करना होगा।
पर्यावरण संरक्षण का वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के लिए बेहतर आवंटन, पर्यावरणीय प्रदूषण पर अधिक कड़े कानूनों इत्यादि के साथ समन्वय करना होगा।
समस्या केवल पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को किये गए कम आवंटन की ही नहीं है बल्कि मंत्रालय द्वारा आवंटित संसाधनों का. न्यून उपयोग भी समस्या है। पर्यावरण पर एक विस्तृत बोधि पढ़ें, यहां
न्यून उपयोग की यह समस्या राज्य / केंद्र शासित प्रदेश-स्तर पर अधिक गंभीर है। तेजी से लुप्त होते वन्यजीव, बिगड़ते पारिस्थितिकी संतुलन, बढ़ते प्रदूषण इत्यादि पर तुरंत ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। आर्थिक और औद्योगिक विकास रणनीति का पर्यावरणीय संरक्षण के साथ तुल्यकालन (सिंक्रनाइज) किया जाना चाहिए और इसे पर्यावरण की क्षति के मूल्य पर संवर्धित नहीं किया जा सकता। वैज्ञानिक, धारणीय और सघन संरक्षण उपाय शुरू किये जाने चाहिए ताकि हमारा पर्यावरण अधिक स्वच्छ और स्वस्थ हो सके। पर्यावरण पर विडियो विश्लेषण देखें, यहां
न्यून उपयोग की यह समस्या राज्य / केंद्र शासित प्रदेश-स्तर पर अधिक गंभीर है। तेजी से लुप्त होते वन्यजीव, बिगड़ते पारिस्थितिकी संतुलन, बढ़ते प्रदूषण इत्यादि पर तुरंत ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। आर्थिक और औद्योगिक विकास रणनीति का पर्यावरणीय संरक्षण के साथ तुल्यकालन (सिंक्रनाइज) किया जाना चाहिए और इसे पर्यावरण की क्षति के मूल्य पर संवर्धित नहीं किया जा सकता। वैज्ञानिक, धारणीय और सघन संरक्षण उपाय शुरू किये जाने चाहिए ताकि हमारा पर्यावरण अधिक स्वच्छ और स्वस्थ हो सके। पर्यावरण पर विडियो विश्लेषण देखें, यहां
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